दाल, सब्जी के भाव अधिक तो शक्कर, आटा, रवा, मैदा, पोहा दे रहा खुशी... वजह भाव हुए कम

दाल, सब्जी के भाव अधिक तो शक्कर, आटा, रवा, मैदा, पोहा दे रहा खुशी... वजह भाव हुए कम

इंदौर । बहुत अर्से के बाद बाजारों की स्थिति कहीं खुशी-कहीं गम वाली नजर आ रही है। होली के दिन नजदीक आ रहे हैं, उपभोक्ता परेशान हैं... रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाले दूध से लेकर दाल, सब्जी सब उसे महंगे मिल रहे हैं। कुछ सब्जियों के भाव तो दो-तीन दिनों में डबल से भी अधिक हो गए हैं।

राहत की बात है कि बीते दिनों काफी महंगे बिके गेहूं के आटे के भाव में थोड़ी कमी आ गई है। यह बात अलग है कि गेहूं का आटा जहां सस्ता हुआ, वहीं मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ के साथ ऑर्गनिक आटा के भाव बढ़ गए। स्थिति यह हो गई कि किसमें कितना कम हुआ... समझ ही नहीं आता। दालों में मूंग, तुअर, उड़द कोई भी दाल 110 से कम नहीं मिल रही। मसूर जैसी दाल जो होलसेल में 75 से 80 की रेंज में है, वह भी फुटकर में 105 बिक रही है।

राहत भी कम नहीं

शक्कर के भाव काफी समय से 38-40 की रेंज में फिक्स से हो गए हैं। गेहूं आटा, रवा, मैदा, पोहा खुशी दे रहा है। कारोबारी आनंद खंडेलवाल के अनुसार सामान्यतया होली के पूर्व रवा-मैदा के भाव बढ़ते रहे हैं, लेकिन इस बार उल्टा हो रहा है। पहले महंगा बिका रवा- मैदा के भाव चार से पांच रुपए किलो तक कम हो गए हैं।

पोहा आया नीचे

काफी समय के बाद पोहे के भाव 60 रुपए के स्तर से नीचे आए हैं। थोक बाजार की बात करें तो यहां पोहा 36 से 40 के स्तर पर बिक रहा है। फुटकर में इसके भाव अभी भी 55 से 60 है।

होलसेल में सस्ता, पर खेरची महंगा

गृहिणी भारती शुक्ला के अनुसार नित नई तेजी असर दिखा रही है। मध्यम व निम्न वर्ग की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। बाजारों में कहने को कीमतें कम हो रही हैं, लेकिन हकीकत विपरीत है। जिन्हें सस्ता बताया जा रहा है, वह भी पूर्व महीने से महंगे हैं। लग रहा था प्रदेश सरकार बजट में राहत देगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

आमदनी से खर्चा अधिक

नीता अरोरा बताती हैं कि वर्तमान में निम्न और मध्यम वर्ग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं... सब्जी, आटा, तेल, फ्रूट जैसी बेसिक आवश्यकता की कीमत देखकर हैरान हैं, परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करें या आने वाले त्योहार के लिए बजट को व्यवस्थित करें... समझ से परे हैं। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली स्थिति बनी हुई है।