प्रोजेक्ट तो बने, पर अमल में लाना भूल गया केंट बोर्ड

प्रोजेक्ट तो बने, पर अमल में लाना भूल गया केंट बोर्ड

जबलपुर। केंट बोर्ड के रहवासियों के लिए केंट बोर्ड ने बीते दशक में योजनाएं तो बहुत बनाई मगर एक भी कागजों से बाहर नहीं आ पाई। इन योजनाओं में सीवर लाइन, नर्मदा पेयजल, गंदी बस्ती उन्मूलन, गोराबाजार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सहित एंपायर थिएटर की जगह मॉल जैसी योजनाएं मुख्य हैं जिनसे केंट बोर्ड का आधुनिक व सुविधाजनक स्वरूप सामने आ सकता था। इन योजनाओं को केंट बोर्ड ने अपने सभी सदस्यों की सर्वानुमति से पारित भी किया था। इनकी बाकायदा डीपीआर बनी लेकिन शासन से अनुमोदित करवाने के लिए बोर्ड ने किसी तरह की पहल नहीं की। इन योजनाओं के बनते वक्त 6 माह से लेकर 2 साल तक की समयसीमा भी निर्धारित की गई थीं।

जरूरी है नर्मदा जल और सीवर प्रोजेक्टकेंट

वासियों को पेयजल के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए नर्मदा जल प्रोजेक्ट बेहद जरूरी है। हैरत की बात ही है कि नर्मदा किनारे बसे होने के बाद भी यहां के रहवासी बोरिंग के पानी पर ही आश्रित हैं। इसी तरह सीवर लाइन प्रोजेक्ट को भी तरजीह न दिए जाने के कारण यहां के हालात आज भी गांव-कस्बे की तरह ही हैं।

ये हैं योजनाएं

  •  गोराबाजार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स
  •  केंट बोर्ड में योजना बनीं वर्ष 2016 में
  •  योजना की लागत 68 लाख
  •  दुकानें बनना थीं 40

स्थिति

  •  पिलर्स का अधूरा काम कर बंद

नर्मदा जल वाटर लाइन

  •  प्रोजेक्ट की लागत 73.77करोड़
  •  कटंगा में ट्रीटमेंट प्लांट 1.80 एमएलडी
  •  सदर में ट्रीटमेंट प्लांट 8 एमएलडी
  • गोराबाजर ट्रीटमेंटप्लांट 4.75 एमएलडी

स्थिति

  •  प्रोजेक्ट सरकार के पास 5 सालों से लंबित

शॉपिंग कॉम्प्लेक्स निर्माण

  •  प्रस्ताव पास हुआ- 2014
  •  कॉम्प्लेक्स की लागत-8.52 करोड़
  • समयसीमा 12 माह

स्थिति

  •  मार्केट नहीं बना

सीवर लाइन प्रोजेक्ट

  • प्रोजेक्ट की लागत- 230 करोड़
  • योजना बनी- 2007
  • केन्द की हिस्सेदारी- 50 प्रतिशत
  •  राज्य की हिस्सेदारी-30 प्रतिशत
  •  केंट बोर्ड की हिस्सेदारी- 20 प्रतिशत।

स्थिति

  • फाइलों में कैद प्रगति शून्य

फोन उठाने से परहेज

इस संबंध में जब केंट बोर्ड का पक्ष जानने के लिए सीईओ व कार्यालय अधीक्षक सरोज विश्वकर्मा के मोबाइल पर फोन किया गया तो हमेशा की तरह इनके फोन नहीं उठे। केंट बोर्ड प्रबंधन की यह समस्या है कि वे सवालों के जवाब देने में विश्वास ही नहीं रखते।

गंदी बस्ती उन्मूलन नेहरू नगर- हकीकत

  •  आज तक किसी भी बस्ती का उन्मूलन नहीं किया गया
  •  बोर्ड में प्रस्ताव पास हुआ 2012
  • योजना की लागत-63.97 लाख