आवारा जानवरों को कमाई का जरिया बनाएगी राज्य सरकार

भोपाल। प्रदेश में आवारा मवेशी और कुत्ते अब कमाई और रोजगार का साधन बनेंगे। साथ ही पशु मालिकों पर भारी भरकम जुर्माना भी लगेगा। सबकुछ ठीक रहा तो इस साल मध्यप्रदेश आवारा पशु प्रबंधन नीति-2023 आएगी। इस संबंध में अटल बिहारी सुशासन संस्थान ने ड्राμट बनाकर शासन को भेजा है। इसके पहले मध्यप्रदेश पशुधन विकास नीति 2011 लाई गई थी। सुशासन संस्थान ने कई राज्यों का अध्ययन करने पर पाया है कि मप्र में जानवरों के आक्रामक होने की ज्यादा स्थिति है। प्रदेश में वर्ष 2020 में 103 लोग जानवरों के द्वारा मौत के शिकार हुए। इसका बड़ा कारण यातायात अवरुद्ध होना और वाहन दुर्घटनाएं हैं। संस्थान द्वारा तैयार किए गए ड्राμट में अनुशंसा की है कि शासन द्वारा शहर और गांव से बाहर 3 किलोमीटर की दूरी पर पशु अभयारण्य या पशु विहार बनाए जाएं। इनका संचालन पीपीपी मोड पर हो। पशु अभयारण्य में सभी प्रकार के पशु जैसे गाय, भैंस, बैल, कुत्ते और सांडों को रखा जाएगा। पहले चरण में पशु अभयारण्य भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में बनाए जाएंगे। इसके लिए बजट सरकार उपलब्ध कराए।
पशुओं को गोद लेने के लिए मास एडॉप्शन योजना
अनाथ आश्रम की तर्ज पर पशुओं के लिए भी मास एडॉप्शन योजना की पहल की जाएगी। शेल्टर या पशु अभयारण्य से देशी नस्ल के गाय और कुत्तों को अपनाने या गोद लेने की सुविधा रहेगी।
सड़कों पर दिखे पशु तो लगेगा भारी भरकम जुर्माना
सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर प्रथम बार आवारा पशु पकड़े जाने पर 5 हजार रुपए, दूसरी बार में 10 हजार रुपए और तीसरी बार पकड़े जाने पर पशु जब्त कर पशु को शेल्टर हाउस या पशु अभयारण्य भेज दिया जाएगा। फसलों को आवारा मवेशियों से होने वाले नुकसान की भरपाई पशु पालक करेंगे।
इन स्थानों पर भी आवारा पशु रखे जाएंगे
शेल्टर हाउस: रहवासी इलाकों में जो देशी कुत्ते रखते हैं, उनके लिए शासन जोनवार शेल्टर हाउस बनाए। इनका संचालन जनभागीदारी से होगा। शेल्टर हाउस में पशु प्रेमी अपने गोद लिए जानवरों को रख सकेंगे।
वृद्धाश्रम: सेवा के इच्छुक वरिष्ठ नागरिक और अनाथ बच्चे भी गायों की सेवा कर सकें।
नशा मुक्ति केंद्र: इससे पशु थेरेपी पद्धति से नशामुक्ति की दिशा में कार्यरत संस्थाओं को रोगियों के उपचार में सहायता मिलेगी।
बंदी सुधार गृह: इससे कैदियों की मन:स्थिति और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आएगा।
शवदाह गृह, श्मशान घाट: गोबर से बने कंडे और गोकाष्ठ का निर्माण कर अंतिम संस्कारों में उपयोग किया जा सकेगा।
पशु फ्रेंडली थाना: प्रदेश के सभी जिलों में स्थित थानों को पशु फ्रेंडली घोषित करते हुए पशु क्रूरता शिकायत निवारण एवं सहायता केंद्र संचालित किए जाएंगे।
ऐसे विकसित होंगे आय के साधन
♦ गोकाष्ठ बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा, मशीन स्थापना के लिए आर्थिक सहायता।
♦ बायोगैस प्लांट की स्थापना होगी, सीएनजी का निर्माण भी।
♦ गाय के गोबर और गोमूत्र से औषधियां बनाई जाएंगी।
♦ सेल्फ हेल्प ग्रुप एवं ट्रांसजेंडर समुदाय को भी शेल्टर हाउस, गोशाला खोलने के लिए आर्थिक सहायता मिले।
♦ पशु थेरेपी उपचार केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
♦ जो व्यक्ति या डॉक्टर स्वयं के व्यय पर पशु उपचार केंद्रों का संचालन कर रहे हें उन्हें शासन की योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता दी जाएगी।