घटाओं के सौंदर्य पर बनारस घराने के युवा गायकों ने सुनाई घिर आई है कारी बदरिया

घटाओं के सौंदर्य पर बनारस घराने के युवा गायकों ने सुनाई घिर आई है कारी बदरिया

भारत भवन में शुक्रवार से शुरू हुए कजरी-झूला गायन महोत्सव में इस कजरी को बनारस घराने के युवा गायक राहुल और रोहित मिश्रा ने पेश किया तो प्रेम, बिछोह और मिलन की आस के भाव जागृत हुए। राग मिश्र पीलू में यह कजरी सुनाई गई। विदुषी व शास्त्रीय गायिका स्व. गिरिजा देवी ने इस गीत को कंपोज किया था और उनकी लिखी यह कजरी गीत काफी प्रसिद्ध है। कजरी और झूला दोनों ही वर्षा ॠतु में गाए जाने वाले लोक गीतों की प्रिय विधा है। इसका यूपी, बिहार में बहुत ही प्रचलन है लेकिन मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात आदि में भी इस मौसम के ऐसे ही गीत गाए जाते हैं । इन गीतों में प्रेम, विरह, रूठना, मनुहारना, रिश्तों नातों के सुख-दुख को गाया जाता है। मूल में आनंद है। फिर दोनों युवा गायकों ने राग देश में ठुमरी, हे मां काली बदरिया बरसे... को सुनाया। इसके बाद दादरा में पूरब देश से आई रे गोरिया... की प्रस्तुति दी। अंतिम प्रस्तुति झूला की दी। इस दौरान तबले पर अंशुल प्रताप सिंह और हारमोनियम पर जीतेंद्र शर्मा और तानपुरे पर सुभाष और संदीप ने संगत की। आज का कार्यक्रम : भारत भवन में श्रद्धा जैन का गायन शाम 7 बजे फिर 7.50 बजे पर रीता देव का गायन होगा। कार्यक्रम में प्रवेश निशुल्क रहेगा।

बनारसी कजरी में सुनाया- कहनवा मानो ओ राधा-रानी

कार्यक्रम की गायन की दूसरी प्रस्तुति डॉ. नीना श्रीवास्वत की रही। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत ठुमरी अंग की कजरी से की। जिसे राग मिश्र पीलू में ‘घिर आई बदरी...’ को सुनाया, तो उपस्थित श्रोताओं ने तालियों के साथ स्वागत किया। इसके बाद बनारसी कजरी कहनवा मानो ओ राधा-रानी... की प्रस्तुति दी। इसी क्रम में झूला गीत राधे झूलन पधारो झुकी आए बदरा... और दादरा में झिरी-झिरी बरसे सावन रस बूंदीया कि आई गई ले ना बरखा बहार... सुनाया। डॉ. नीना ने कार्यक्रम का समापन ठुमरी में साजनवा सावन बीतो जाए... से किया। प्रस्तुति में तबले पर शशांक मिश्रा, हारमोनियम पर अमन मलिक, तानपुरे पर प्रीतम यादव और शिवानी विश्वकर्मा ने संगत की।