थिएटर आर्टिस्ट्स की जिंदगी हुई बेरंग, मास्क, गलव्स बेचकर कर रहे गुजारा

थिएटर आर्टिस्ट्स की जिंदगी हुई बेरंग, मास्क, गलव्स बेचकर कर रहे गुजारा

कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण थिएटर हॉल के साथ नाटक के शो बंद होने से इससे जुड़े एक्टर्स और अन्य लोग मुश्किल समय का सामना कर रहे हैं। मार्च में जब से लॉकडाउन हुआ है तब से लेकर यंग थिएटर आर्टिस्ट्स घर पर ही है। थिएटर आर्टिस्ट्स जो दूसरे राज्यों से भोपाल आकर रंगमंच में अपनी किस्मत आजमाने आए थे आज वही आर्टिस्ट मास्क और सेनिटाइजर बेचने पर विवश है। कुछ आर्टिस्ट राखी बेचकर अपना घर चलाने पर मजबूर हुए तो कइ युवा थिएटर आर्टिस्ट्स अपना सामान पैक कर अपने घर लौट गए। आईएम भोपाल ने शहर के कइ थिएटर ग्रुप्स में अपनी अदाकारी से सिक्का जमाने वाले आर्टिस्ट्स से जाना कि वे इस समय आजीविका के लिए कौन सा जरिया अपना रहे हैं।

आजकल लोगों के घर केबल लगाने का काम करता हूं

मैं कटनी से भोपाल 4 साल पहले आया था। यहां के थिएटर शो देखता था, जिसमें मैंने विभा श्रीवास्तव जी से इंस्पायर होकर थिएटर जॉइन करने का फैसला लिया। अभी पिछले पांच महीनों से लॉकडाउन की वजह से सभी थिएटर एक्टिविटी बंद है। मैं साथ में बीए एलएलबी भी कर रहा हूं और मुझे पैसों की भी जरुरत पड़ने लगी तो दो महीने से आजीविका के लिए मैंने एक केबल कंपनी में काम करना शुरू किया है।

चौराहों पर बेचे मास्क, ग्लव्स और सेनिटाइजर

पिछले 5 साल से भोपाल में थिएटर कर रहा हूं। थिएटर के जरिए लॉकडाउन से पहले मेरी जो अर्निंग होती थी उससे मेरा घर चल जाता था। एक उम्मीद थी कि अब मैं थिएटर से अपना जीवन निकाल सकता हूं। लेकिन लॉकडाउन होने से बेरोजगार हो गया। ऐसे में मैंने कईं चौराहों पर मास्क, ग्लव्स और सेनिटाइजर बेचे है।मैंने अभी एक कैफ़े में भी नौकरी के लिए अप्लाई किया है और थिएटर तो हमेशा करता रहूंगा।

रैपिडो टैक्सी और कपड़े की दुकान पर करना पड़ा काम

मैं बिहार के पश्चिमी चम्पारण से हूं। लॉकडाउन के कुछ दिन पहले ही थिएटर एक्टिविटी भी बंद हो गई थीं और मैं गुजारे के लिए रैपिडो बाइक टैक्सी और कपड़े की शॉप पर काम करने लगा। लॉकडाउन लगने की वजह से दोनों जगह का काम बंद हो गया। मुझे पैसो की कमी हुई तो स्वयं सेवकों ने मेरे लिए राशन की व्यवस्था की और ऐसे मेरा गुजारा चलता रहा। 5 महीने बीत जाने के बाद भी कुछ आसार नहीं दिखने पर मैं वापस बिहार लौट आया।

थिएटर के अलावा कोई हुनर नहीं, पढ़ा रही हूं ट्यूशन

मैं इस समय हैदराबाद की एक यूनिवर्सिटी में थिएटर में ही मास्टर्स कर रहीं हूं। मेरे पैसा थिएटर के अलावा कोई हुनर नहीं है। जीवन में मैंने कभी जॉब भी नहीं किया और जहां भी अप्लाई किया वहां जॉब नहीं मिली। मैं जितनी भी कमाई थिएटर से करती थी वह सब अब एक तरह से बंद हो गई है। जब से लॉकडाउन हुआ है भोपाल में ही हूं और मेरी कॉलोनी में दो बच्चों को होम ट्यूशन पढ़ा रही हूं। मेरा इस समय आमदनी का यही जरिया है।

लॉकडाउन लगने पर भोपाल से ब्यावरा गया राखी बेचने

मैं पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हूं, लेकिन थिएटर से मुझे लगाव था तो जॉब छोड़ दी। जब पैसों की जरुरत हुई तो बड़े बच्चों की आनलाइन क्लास लेना स्टार्ट किया। उससे जो भी अर्निंग हुई ,तो सोचा रक्षाबंधन के मौके पर राखी बेचूंगा और उसे कुछ प्रॉफिट होगा तो अच्छा रहेगा। भोपाल में फिर 10 दिन का लॉकडाउन हुआ और मैं फिर अपनी नानी के घर ब्यावरा गया और वहां चूंकि लॉकडाउन नहीं था तो वहां राखियां बेचकर अपना घर चला रहा हूं।