बढ़े किराए के कारण रंगकर्मियों का रवींद्र भवन से मोह भंग, अब शहीद भवन ही विकल्प

बढ़े किराए के कारण रंगकर्मियों का रवींद्र भवन से मोह भंग, अब शहीद भवन ही विकल्प

शहर के रंगमंच से जुड़े कलाकारों के लिए चुनौतियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कलाकार कभी रिहर्सल स्पेस की कमी को दूर करने के लिए परेशान हैं तो कभी शासकीय अनुदान के लिए संघर्ष करते नजर आते हैं। इन सब से किसी तरह से राहत मिली ही थी कि अब कलाकारों को शहर के आडिटोरियम का किराया सताने लगा है। कलाकारों को 550 सीट वाले रवीन्द्र भवन के लिए पहले 18 हजार देना पड़ता था, जो अब बढ़कर 24 हजार हो गया है। वहीं, 212 सीट वाले गौरांजनी मिनी आॅडिटोरियम के लिए एक दिन का किराया 40 हजार देना पड़ रहा है। यही कारण है कि अधिकतर कलाकार शहीद भवन में फेस्टिवल आयोजित करने के लिए मजबूर हैं। जहां कई बार कलाकारों को दर्शकों के अभाव में भी प्रस्तुति देना पड़ती है। टिकिट भी रखें तो भी खर्चे नही निकलते।

भारत भवन पहले ही प्राइवेट आयोजनों के लिए हो चुका बंद

भारत भवन पहले से ही निजी संस्थानों को नहीं दिया जा रहा है और पुराने रवींद्र भवन का किराया भी बहुत होने के कारण रंगकर्मी प्रस्तुति नहीं दे पा रहे। कलाकारों को रवींद्र भवन में कार्यक्रम करने के लिए पहले एसडीएम से अनुमति लेकर आना पड़ती है, अनुमति मिलने के बाद वह कार्यक्रम कर सकते है। वहीं परिसर में जहां पहले रंगकर्मी पहले नाटक की रिहर्सल अनौपचारिक रूप से कर लिया करते थे अब उस पर रोक लगा दी गई है। अब हर गतिविधि के लिए किराया देना होगा।

चुनौतियां, जिनके कारण थिएटर से दूरी बना रहे हैं कलाकार

आडियंस घटने से लागत तक नहीं निकल रही। कॉस्ट्यूम, मेकअप व एक्टर्स की फीस जेब से देनी पड़ रही है।

कलाकारों को राहत देने के बजाय रवींद्र संभागम केंद्र का किराया बढ़ाया।

 टिकिट से नहीं निकल पाता हॉल का किराया। टिकिट होने पर नाटक में दर्शकों की संख्या हो जाती है कम।

मंत्री व प्रशासन से बात की, अभी कोई हल नहीं निकला

डायरेक्टर बालेंद्र सिंह बालू ने बताया कि जुलाई में तीन नाटकों का मंचन शहीद भवन में किया,जहां तीन दिन का 21 हजार रुपए किराया था, सभागार की क्षमता 235 दर्शकों की है। वहीं रवींद्र सभागम केंद्र के गौरांजनी मिनी आडिटोरियम में 212 दर्शक क्षमता है, जिसका किराया पूरे दिन का 40 हजार रुपए है। शो हाउसफुल भी रहे तो 100 रुपए के टिकट से मात्र 21,200 रुपए ही हो पाएंगे। उसमें किराया भी नहीं निकलेगा। इसको लेकर मंत्री और प्रशासन से बात की लेकिन अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

हाउसफुल हो तब भी नहीं निकल पाता किराया

थिएटर डायरेक्टर दिनेश नायर कहते हैं कि आर्ट को बढ़ावा देने के बजाया उसे कम किया जा रहा है, हमारी कला और संस्कृति के लिए पूरे प्रदेश में रवींद्र सभागार बने थे। रवींद्र भवन का किराया बेसमझ होकर लिया गया निर्णय है। किस आधार पर इतना किराया बढ़ाया गया है, यह समझ से परे है। वहीं ऐसा लगाता है कि समिति ने किसी भी कलाकार का मत नहीं लिया। नाटक यदि हाउसफुल भी रहा तब भी आडिटोरियम का जितना किराया है, उतना टिकट से भी नहीं निकाला जा सकता है।

कार्यक्रम के लिए विभाग से मिलती है निर्धारित राशि में छूट

शहर की सांस्कृतिक संस्था जो कि पिछले कई वर्षों से संस्कृति के विभिन्न क्षेत्र में कार्य कर रही है, उन्हें विभाग द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम करने के लिए निर्धारित राशि में कुछ प्रतिशत छूट दी जाती है। इसमें संस्था को 10 प्रतिशत से लेकर अधिकतम 50 प्रतिशत तक छूट मिल सकती है। - वंदना जैन, कार्यालय प्रमुख, रवींद्र भवन