यूनिफॉर्म, किताबें-कॉपी एक ही दुकान से खरीदने की बाध्यतानहीं, स्कूल संचालकों को निर्देश

यूनिफॉर्म, किताबें-कॉपी एक ही दुकान से खरीदने की बाध्यतानहीं, स्कूल संचालकों को निर्देश

ग्वालियर। मई-जून में शुरू होने वाले नए शिक्षण सत्र में स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों को संबंधित दुकानों से पाठ्यपुस्तकें, यूनिफॉर्म, टाई-जूते खरीदने के लिए बाध्य करने से रोकने पर कलेक्टर रुचिका चौहान ने धारा 144 लागू कर दी है। स्कूल संचालकों को अब पाठ्यपुस्तक सामग्री की सूची डीईओ को ई-मेल करना होगी। कलेक्टर ने यह आदेश स्वत: संज्ञान लेकर जारी किया है। ताकि आने वाले नए शिक्षा सत्र में स्कूल संचालक अभिभावकों के सामने कोई परेशानी खड़ी नहीं करें।

क्योंकि सबसे बड़ी समस्या पाठ्यपुस्तक सामग्री की रहती आई है जिसमें स्कूल संचालक चुनिंदा दुकानों की सूची देकर छात्र और उनके माता-पिता को बाध्य करते हैं कि उपरोक्त पाठ्य पुस्तकें, यूनिफॉर्म, जूते, टाई उनके द्वारा सुझाई गईं दुकानों से ही खरीदना होगा। स्कूल और दुकान संचालकों के बीच गठजोड़ को तोड़ने के लिए कलेक्टर ने धारा 144 का उक्त आदेश जारी किया है। जबकि मितव्ययी, गुणवत्तापूर्ण एवं सर्व सुलभ शिक्षा व्यवस्था का निर्माण लोक कल्याणकारी प्रशासन के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से एक है।

यह भी दिए निर्देश

कलेक्टर ने जिले के सभी एसडीएम, जिला शिक्षाधिकारी, परियोजना समन्वयक को आदेशित किया है कि वे स्कूलों पर नजर रखें कि वे आदेश के विपरीत कोई चीज तो नहीं कर रहे।

गरीबों पर पड़ती है महंगाई की मार

सबसे ज्यादा परेशानी उन अभिभावकों की रहती है जो दिनभर कमाना और फिर खाने की जुगाड़ करते हैं, ऐसे लोगों के सामने संबंधित दुकानों की सूची थमाकर उनका आर्थिक शोषण से भी नहीं चूक रहे। क्योंकि स्कूल संचालकों की सांठगांठ सीधे दुकानदारों से रहती है और मोटे कमीशन का खेल भी चल रहा है। कई बार सेट की कीमत बढ़ाने के लिए अनावश्यक सामग्री जो पाठ्यक्रम से संबंधित नही होती है, जैसे डिक्शनरी, एटलस, आर्ट बुक, क्रॉफ्ट बुक, ड्राइंग बुक, वाटर कलर्स आदि का समावेश कर दिया जाता है। चूंकि अधिकांश निजी विद्यालयों में यही खेल चल रहा है, इसीलिए सीआरपीसी 1973 की धारा 144(1) (2) के तहत स्कूल संचालक, पुस्तक प्रकाशकों के एकाधिकार को समाप्त कर रही हूं।

कलेक्टर रुचिका चौहान ने स्वत: संज्ञान लेकर दिया आदेश

1. स्कूल संचालक प्रत्येक कक्षा के लिए अनिवार्य पुस्तकों की सूची स्कूल की वेबसाइट पर अपलोड करेंगे।

2. स्कूल संचालकों को उक्ताशय की सूचना पटल पर चस्पा की जाएगी।

3. स्कूल संचालक संबंधित कक्षा का रिजल्ट आने से पहले पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य नहीं करेंगे। अप्रैल माह में तीस दिवस तक बच्चों को व्यावहारिक ज्ञान व मनोवैज्ञानिक तरीकों से पढ़ाई कराई जाएगी।

4. स्कूलों में एनसीआरटीई एवं मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को अनिवार्य रूप से उपयोग में लाया जाएगा। निजी प्रकाशकों की पुस्तकों के अध्यापन पर प्रतिबंध रहेगा। निजी प्रकाशकों को अपने प्रचार के लिए स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।