सात दिन बाद जमानत मिलने पर परिवारों में खुशी का माहौल अभिभावक बोले, मानवता की जीत हुई
ग्वालियर। निजी विवि के कुलपति प्रो. रंजीत सिंह की जान बचाने के लिए न्यायाधीश की कार छीनने के मामले में एबीवीपी के कार्यकर्ता हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा को हाईकोर्ट से सोमवार को जमानत मिल गई। इससे दोनों के परिवारों में खुशी का माहौल है। कुलपति की मदद करने पर डकैती के केस में हिमांशु और सुकृत के जेल जाने और जिला कोर्ट द्वारा जमानत याचिका निरस्त करने पर दोनों के घरों में निराशा का माहौल था, लेकिन हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर कार्यकर्ताओं के अभिभावकों का कहना है कि यह मानवता की जीत है। उनके बच्चों ने अंजान व्यक्ति की जान बचाने के लिए कदम उठाया था, लेकिन इसके बाद भी उन पर डकैती का केस दर्ज कर दिया गया था, लेकिन सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।
ऐसे चला घटनाक्रम
11 दिसंबर को दिल्ली में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन से लौट रहे हिमांशु और सुकृत शर्मा को जब इसकी जानकारी मिली कि ट्रेन में किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आया है तो वह मदद के लिए पहुंचे, उन्होंने पुलिस प्रशासन व रेल प्रबंधन को इसकी जानकारी दी, लेकिन 25 मिनट तक एम्बुलेंस के नहीं आने पर दोनों अभाविप कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी न्यायाधीश की कार के चालक से मदद की गुहार लगाई, मगर चालक के इनकार करने पर कार्यकर्ता चालक से कार की चाबी छीनकर उसमें कुलपति को इलाज के लिए अस्पताल ले गए थे, मगर रास्ते में कुलपति की मौत हो गई। तब तक कार्यकर्ताओं को यह नहीं पता था कि वह जिसकी मदद कर रहे हैं, वह निजी विवि के कुलपति हैं।
इस मामले में जज की नाराजगी के बाद जीआरपी के आरक्षक ने पुलिस में शिकायत की और पुलिस ने हिमांशु और सुकृत पर डकैती की धाराओं में केस दर्ज करके कोर्ट में अभियोग पत्र पेश किया। कोर्ट ने कार्यकर्ताओं को जेल भेज दिया।
हिमांशु और सुकृत के परिजनों ने जिला कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने 13 दिसंबर को सुनवाई के बाद निरस्त कर दिया।
अभाविप ने अपने कार्यकर्ताओं के लिए आगे आया। कार्यकर्ताओं की न्याय की मांग के लिए कॉलेजों के छात्रों ने मौन जुलूस और रैली निकाली साथ ही शिक्षण संस्थान बंद भी रखे।
जिला कोर्ट से जमानत निरस्त होने के बाद हिमांशु के पिता कमल श्रोत्रिय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मदद की गुहार लगाई। सीएम ने मामले की जांच के आदेश दिए।
पिता ने सीएम से लगाई थी गुहार, जांच के आदेश दिए
हिमांशु श्रोत्रिय के पिता कमल श्रोत्रिय ने बेटे को न्याय दिलाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से गुहार लगाई थी। इसके बाद सीएम ने मामले की सीआईडी जांच के आदेश दिए। अभाविप भाजपा का ही संगठन है, इसलिए मदद करने पर कार्यकर्ताओं पर डकैती का केस दर्ज होने पर अभाविप के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथसाथ भाजपा के नेता भी कार्यकर्ताओं को न्याय दिलाने के लिए सक्रिय हो गए थे।
परिषद ने प्रदेश भर में चलाई मुहिम, छात्र जुड़े
कुलपति की जान बचाने के लिए कदम उठाने वाले हिमांशु और सुकृत के खिलाफ डकैती का केस होने पर दोनों कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि अभाविप के पदाधिकारी भी हैरान थे। कार्यकर्ताओं पर डकैती का केस दर्ज किए जाने के विरोध और न्याय की मांग को लेकर परिषद की पहल पर प्रदेश भर में परिषद के कार्यकर्ताओं ने मुहिम चलाई, जिसमें कॉलेजों के छात्र स्वप्रेरणा से आगे आए और मौन जुलूस, रैली निकाली।
बेटे पर गर्व है, अच्छा काम किया
विवि के कुलपति को हार्ट अटैक आने पर जहां कोई मदद के लिए आगे नहीं आया, वहां अभाविप के कार्यकर्ताओं ने सेवाभाव दिखाकर कुलपति को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के लिए जो कदम उठाया, उसके लिए मुझे मेरे बेटे पर गर्व है, उसने अच्छा काम किया। किसी अंजान की मदद के लिए डकैती का केस दर्ज किया जाना गलत है। अंजना शर्मा, सुकृत शर्मा की मां
हिमांशु और सुकृत ने कुलपति की जान बचाने के लिए उस समय जो कदम उठाया, वह सराहनीय है मगर सेवाभाव के लिए डकैती का केस दर्ज होना सही नहीं है, ऐसे में लोग अंजानों की मदद के लिए कैसे आगे आएंगे। इस मामले में मुख्यमंत्री के आभारी हैं, जिनके कारण दोनों को जमानत मिल पाई है। अभाविप ने भी अपने कार्यकर्ताओं के लिए प्रदेश भर में मुहिम चलाई, जिससे सभी ज़ुड़े, वह भी काबिले तारीफ है। कमल श्रोत्रिय,हिमांशु श्रोत्रिय के पिता
विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा को न्यायालय द्वारा जमानत मिलने पर शुभकामनाएं व बधाई। न्यायालय पर विश्वास, सच्चाई की विजय हुई। मानवता के प्रति युवा कर्तव्य की जीत है। न्याय की लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक मध्यप्रदेश से डकैती जैसे संगीन और आधारहीन दफा न हट जाये। अभाविप का सेवा कार्य जारी रहेगा। याज्ञवल्क्य शुक्ला राष्ट्रीय महामंत्री एबीवीपी