जीआरएमसी समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में अब होंगे स्थाई डीन
ग्वालियर। गजराराजा मेडिकल कॉलेज समेत प्रदेशभर के सभी मेडिकल कॉलेज में सबसे बडे पद डीन यानि की अधिष्ठाता को लेकर हलचल तेज हो गई हैं और जल्द सभी 18 मेडिकल कॉलेज में नए एवं स्थाई डीन मिलेंगे। इस बार यह खास रहेगा कि सेटिंग की दम पर प्रभार मिलने का सीधा आदेश जारी नहीं होगा बल्कि इनको इंटरव्यू का सामना करना पडेगा। इसको लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा इनका चयन साक्षात्कार के आधार पर करेगा और इसके लिए डॉक्टर्स को 29 फरवरी तक ऑनलाइन आवेदन करना होगा, 65 साल तक के डॉक्टर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। अंचल के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज जीआरएमसी की बात की जाए तो यहां पर वर्तमान में डॉक्टर अक्षय निगम 16 जुलाई 2022 को इनको डीन का प्रभार दिया गया है तब से लेकर अभी तक यह डीन का कार्यकाल देख रहे हैं। इससे पहले डॉक्टर भरत जैन इंटरव्यू में सिलेक्ट होकर डीन बने थे उनके बाद यहां पर प्रभारी डीन ही चल रहे हैं।
कोर्ट का सख्त रवैया, दूसरी बार निकाली विज्ञप्ति
डीन यानि की अधिष्ठाता पद को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा इतनी तत्परता की वजह सिस्टम में सुधार नहीं बल्कि कोर्ट का सख्त रवैया है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज के एक प्रोफेसर की याचिका पर कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद न केवल चिकित्सा शिक्षा विभाग बल्कि प्रदेशभर के सभी मेडिकल कॉलेज में डीन बनने की चाह रखने वाले डॉक्टर्स की उम्मीद को जगा दिया है। कोर्ट ने जो आदेश दिया है कि उसके मुताबिक 21 दिनों के भीतर सभी मेडिकल कॉलेज में पूर्णकालिक डीन की नियुक्ति करनी होगी अभी कई कॉलेज में प्रभारी डीन कार्यभार संभाल रहे हैं। हालांकि इससे पहले भी एक बार चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा अक्टूबर 2023 में डीन की नियुक्ति निकाली थी, लेकिन बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है।
अक्षीक्षक भी हो सकते हैं स्थाई
मेडिकल कॉलेजों अधीन आने वाले अस्पतालों के अधीक्षक को लेकर भी मेडिकल कॉलेज में यह चर्चा है कि डीन की तरह अधीक्षक की भर्ती निकल सकती है। अगर ऐसा हुआ था जेएएच के कई डॉक्टर्स जो कि कई दिनों से गुपचुप तरीके से अधीक्षक बनने का प्रयास कर रहे हैं वह खुलकर सामने आ सकते हैं। इससे पहले भी कुछ वर्षों पहले ऐसा हुआ था तब पूर्व अधीक्षक डॉक्टर अशोक मिश्रा भोपाल में इंटरव्यू देने पहुंचे वह उनका चयन हुआ था, कुछ सालों बाद अस्पताल की राजनीति से परेशान होकर उन्होंने यह पद छोड़ दिया था उसके बाद भी डॉक्टर आरकेएस धाकड़ प्रभारी अधीक्षक के तौर पर यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।