घर से दूर जान जोखिम में डालकर लड़ रहे कोरोना से यह योद्धा

Corona

घर से दूर जान जोखिम में डालकर लड़ रहे कोरोना से यह योद्धा

ग्वालियर। डॉक्टर को इस दुनिया में भगवान का दर्जा या गया है कोरोना की इस महामारी के बीच डॉक्टरों ने भी बिना अपनी जान की परवाह किए कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार व उनके सैंपल लेने तक में अभी तक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है जो लोग अभी तक डॉक्टरों पर पैसों की खातिर गलत इलाज का आरोप लगाते थे वही लोग इनक कोरोना योद्धाओं की तारीफ कर से नजर आ रहे हैं। जिला अस्पताल मुरार में कोरोना की इस फाइट में कमान संभाले हुए हैं डॉक्टर अमित रघुवंशी एवं डॉ हरेंद्र सिंह इन दोनों डॉक्टरों की जोड़ी। कोरोना के शुरूआत से लेकर आज तक जिले में कभी करीब 29000 संदिग्ध लोगों के सैंपल लिए जा चुके हैं जिसमें से 18000 लोगों के सैंपल जिला अस्पताल मुरार में लिए गए हैं। इन दोनों डॉक्टरों की जोड़ी ना केवल खुद काम कर रही है बल्कि अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी मोटिवेट करने में लगी हुई है जहां डॉक्टर अमित रघुवंशी लोगों के सैंपल ले रहे हैं वही डॉक्टर हरेंद्र सिंह लैब में जांच में जुटे हुए हैं। डॉ अमित रघुवंशी एवं डॉक्टर हरेंद्र सिंह ने फुल सैंपल इनके लिए भी टीम को तैयार किया है इन्हीं ने इन टीम के सदस्यों को सैंपल लेना लेने ट्रेनिंग दी हैंए इसी का नतीजा है कि आज जिला अस्पताल की टीम पॉजिटिव आए मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों के साथ ही शहर में विभिन्न जगह जाकर पुल सेंपलिंग में करीब 1000 लोगों के प्रतिदिन सैंपल ले रही है।

इच्छा होती है तो बिटिया से वीडियो कॉल कर लेते हैं डा.गुप्ता
सुपर स्पेशलिटी के अधीक्षक डॉक्टर जी एस गुप्ता भी कोरोना पॉजिटिव निकलने का दौर जब से शुरू हुआ है तभी से पॉजिटिव मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं अधीक्षक होने के बाद भी यह स्वयं स्वयं सारी व्यवस्थाएं देखते हो फिर चाहे वह मरीज के पॉजिटिव निकलने के बाद अस्पताल में आना हो या फिर उसकी अस्पताल से छुट्टी होने पर विदाई। ग्वालियर जिले की बात की जाए तो कोरोना संक्रमण काल से लेकर अभी तक 186  कोरोना पॉजिटिव हॉस्पिटल सुपर स्पेशलिटी में आ चुके हैं जिसमें से 140 मरीजों अस्पताल से ठीक हो कर जा चुके हैं डॉक्टर जी एस गुप्ता के समर्पण की बात की जाए तो कोरोना की इस जंग में 23 मार्च से लेकर अभी तक यह केवल दो बार अपने घर गए हैं वह 2 दिन भी दोनों बेटियों के जन्मदिन का अवसर था इन्होंने कॉलेज कैंपस को ही अपना घर बना लिया है डॉ गुप्ता यहीं पर ही रहते हैं। जब बेटियों की याद आती है तो वह वीडियो कॉल के माध्यम से उनसे बात करते हैं डॉ गुप्ता के इस जज्बे को सलाम।