1 पखवाड़े बाद शाम को मिला पीने को पानी, सुबह हुई आधी-अधूरी सप्लाइ

1  पखवाड़े बाद  शाम को मिला पीने को पानी, सुबह हुई आधी-अधूरी सप्लाइ

जबलपुर ।  कैसा सुधार कार्य है जो 15 दिन से ज्यादा में सही नहीं हो पाया। गढ़ा क्षेत्र के 4 वार्डों के 70 हजार नागरिकों के मन में ये सवाल उठ रहा है। गुलौआ टंकी से मिलने वाले पेयजल आपूर्ति के बिना यह एक पखवाड़ा लोगों ने कैसे काटा है ये उनकी आत्मा ही जानती है। अब जैसे तैसे मंगलवार को बैंड बदलने का काम पूरा हुआ और टेस्टिंग की गई तो वह फिर फेल हो गई। रात तक सुधार कार्य चलता रहा। सुबह आंशिक जलापूर्ति हुई और शाम को सामान्य रूप से पानी मिला तो लोगों ने राहत की सांस ली। सवाल यह है कि पेयजल जैसी अनिवार्य आवश्यकता के लिए नगर निगम के जिम्मेदारों ने इतनी बड़ी आबादी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की। हालाकि ननि के पास कुतर्क है,उनका कहना है कि हमने टंकी को भरने वाली लाइन को सीधे बाईपास कर सप्लाई की है। मगर इस बाईपास सप्लाई से कितनों को पानी मिला यह वे नहीं बताते। एक दिन भी एक भी टैंकर नहीं निकला। वैकल्पिक जलापूर्ति नहीं की गई।

रमनगरा के फाल्ट को किया मात

आम तौर पर जलापूर्ति केवल रमनगरा जलशोधन संयंत्र की पाइप लाइन लीकेज के कारण हुए हैं। इनमें 3 से 7 दिन तक वक्त लगता था,मगर गुलौआ टंकी के बैंड ने तो रमनगरा का भी रिकॉर्ड ब्रेक कर दिया। हालाकि पाइप लाइन लीकेज के लिए बाहर से एक्सपर्ट को बुलवा कर काम करवाया जाता है। वहीं यहां पर बैंड बदलने के लिए लोकल लोगों को ही लगाया गया था। शनिवार को हुई बारिश के बाद इसके लिए किए गए गड्ढे में पानी भर गया जिसे रविवार को खाली करवाकर काम के गति दी गई। मंगलवार दोपहर तक बैंड बनकर तैयार हो गया मगर जैसे ही इसे टेस्टिंग के लिए लगाया गया तो फिर लीकेज आ गया। इसके बाद देर शाम तक इसका काम चला और बाद में टंकियों को भरा गया। कई क्षेत्रों में कम तो कई में बिलकुल पानी नहीं आया। अब ननि क  कहना है कि बुधवार की शाम से पेयजल अपूर्ति सामान्य करवा दी जाएगी।

ये थी वजह

गुलौआ टंकी से 70 हजार नागरिकों को दोनों वक्त जलापूर्ति की जाती है। इस टंकी को भरने वाली राइजिंंग मेन लाइन के बैंड में लीकेज हो गया था,जिसके चलते काफी मात्रा में पानी फालतू बहता था और टंकी भी पूरी नहीं भर पा रही थी। पहले इसे सुधारने में देशी तकनीक का इस्तेमाल कर प्रयोग किया गया बाद में जब प्रयोग स फल नहीं हुआ तो बैंड बदलने का काम शुरू हुआ। इस काम में काफी समय लग गया। मंगलवार को दोपहर में जब यह काम पूरा कर टेस्टिंग की गई तो फिर असफलता ही हाथ आई। एक बार फिर कमी को दूर करने लंबी कवायद चली और रात में टंकी भरने की प्रक्रिया शुरू की गई।

इसलिए सुधार में हुआ विलंब

दरअसल जिस बैंड को लीकेज के बाद तत्काल बदलने की प्रक्रिया शुरू कर देनी थी उसके लिए जुगाड़ तकनीक में एक सप्ताह का समय निकाल दिया गया। जब जुगाड़ तकनीक के तहत की गई कांक्रीट फेल हो गई तो अधिकारियों को लगा कि बैंड बदलना ही विकल्प है। बैंड बदलने में भी 1 सप्ताह का समय लग गया और इस तरह से लोगों को पूरे एक पखवाड़े तक पानी नहीं मिला।