कारगिल युद्ध में परमवीर चक्र पाने वाले कैप्टन मनोज पांडे को हम सभी दोस्त अंधेरे में डराया करते थे: पवन मिश्रा

कारगिल युद्ध में परमवीर चक्र पाने वाले कैप्टन मनोज पांडे को हम सभी दोस्त अंधेरे में डराया करते थे: पवन मिश्रा

तीन दिवसीय भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल(बीएलएफ) की शुरुआत शुक्रवार को भारत भवन में हुई। इस फेस्टिवल में कई किताबों का विमोचन व उन पर चर्चा की जा रही है। पद्मश्री भूरी बाई के बनाए मैस्कॉट समेत 4 किताबों का विमोचन पहले दिन किया गया। इस मौके पर पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाय कुरैशी, वरिष्ठ पत्रकार उदय महुरकर, संस्कृति संचालक अदिति त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर, कला- इतिहासकार मीरा दास के साथ ही पूर्व आईएएस और बीएलएफ के डायरेक्टर राघव चंद्रा कार्यक्रम में मौजूद रहे। अपने उद्बोधन में श्री चंद्रा ने कहा कि आज युवा पीढ़ी किताबें पढ़ने के बजाय सोशल मीडिया पर डूबी हुई है, जिससे उनकी सोचने-समझने की क्षमताओं का विकास रूक रहा है। ऐसे में भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल जैसे आयोजन एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।

पुस्तक ‘पर्दे के सामने’ व ‘ऑल ऑड्स’ सहित फैंटसी स्पोर्ट्स पर सेशन

कारगिल गैलेंट्री ऑफ कैप्टन मनोज पांडे परमवीर चक्र ए ह्यूमन स्टोरी पर चर्चा की गई। जिसमें लेखक पवन मिश्रा एवं ब्रिगेडियर संजय अग्रवाल ने चर्चा की। संजय अग्रवाल ने बताया कि लेखक, कैप्टन मनोज पांडे और वो एक ही स्कूल के छात्र थे। जब हम हॉस्टल में रहते थे, तो वॉशरूम बहुत दूर हुआ करता था, हम दोस्त मिलकर अंधेरे में मनोज को डराया करते थे। जब वह फोर्स में भर्ती हुआ तो हमारी कई मुद्दों पर रात-रात भर बात होती थी। वह हमेशा कहता था कि मेरे ना रहने के बाद उसके परिवार का ख्याल आर्मी रखेगी। उसने साल 1993 में अपने पत्र में लिख दिया था कि उनका और कोई लक्ष्य नहीं वो सिर्फ परमवीर चक्र ही पाना चाहते हैं। उनके पिता की पान की दुकान हुआ करती थी और उन्होंने आठवीं से ही स्कॉलरशिप से पढ़ाई करना शुरू किया था और पढ़ने में इतने होनहार थे कि एनडीए में उनकी 50 वी रैंक थी। इसके बाद डॉ. ऋतु पांडे शर्मा एवं बृजेश राजपूत ने पर्दे के सामने: द आर्ट ऑफ फिल्म क्रिटिसिज्म पर चर्चा की। यह पुस्तक फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे के लेखों और उनके अनुभवों पर आधारित रही। डॉ. ऋतु ने बताया कि चौकसेजी स्कूल्स में भी फिल्म पर बात करते थे। इस दौरान फेडरेशन ऑफ इंडिया फैंटसी स्पोर्ट्स के सीईओ अनवर शिरपुरवाला ने फैंटसी स्पोर्ट्स को लेकर प्रेजेंटेशन भी दिया।

पूरे देश को एक ही नियम में बांधना सही नहीं है

पर्यावरणविद और भारतीय वन सेवा के अधिकारी रहे एचएस पाबला ने अपनी अपनी किताब 'लॉस एट वॉर' के बारे में बातचीत की। इस सत्र में अभिलाष खांडेकर और योगेश दुबे ने उनसे से चर्चा की। ये किताब उनकी ट्रायलॉजी सीरीज की तीसरी किताब है। सीरीज में और भी किताबें शामिल की जाएगीं। उन्होंने कहा कि पूरे देश को एक ही नियम में बांधना सही नहीं है। जानवरों और मनुष्य का रिश्ता भी वक्त और जगह के साथ बदलता है। दूसरे सत्र में अगेंस्ट ऑल ऑड्स किताब के लेखक हेतल सोनपाल ने कहा कि किताब उनके पिताजी के जीवन को परिभाषित करती है। ये किताब लिखने की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब उनके पिताजी को कैंसर होने का पता चला। उन्होंने तय किया कि पिता के जीवन के संघर्ष को शब्दों में पिरोएंगे।