जिसका गाना कमजोर होता है, उसके गानों में वाद्ययंत्र अधिक होते हैं : भारती बंधु

जिसका गाना कमजोर होता है, उसके गानों में वाद्ययंत्र अधिक होते हैं : भारती बंधु

भक्ति संगीत तो हमारी परंपरा में चला आ रहा हैं। मैं पांचवीं पीढ़ी हूं और मेरा बेटा छठवीं पीढ़ी है जो कि आगे का काम कर रहा है। किसी के चले जाने से कारोबार दुनिया के रुकते नहीं है, मुझसे पहले भी लोग आए थे। मेरी बस यही प्रार्थना है कि दुनिया से जब भी जाऊं, भगवान ने मुझे जिस काम के लिए भेजा है वह काम संपन्न रहे। यह कहना है, पद्मश्री भारती बंधु का, जो कि लोकरंग उत्सव में अपनी प्रस्तुति देने आए हुए थे। 55 साल से पारंपरिक वाद्ययंत्र का इस्तेमाल कर रहा हूं: वाद्ययंत्र में हो रहे प्रयोग पर बात करते हुए भारती बंधु कहते हैं कि मैंने अपने जीवन के 55 साल में हार्मोनियम, तबला और हमारे पारंपरिक वाद्ययंत्र का ही इस्तेमाल अभी तक किया है। उन्होंने कहा कि जिसका गाना कमजोर होता है, उसके गानों में वाद्ययंत्र अधिक होते है। कबीर इतना बड़ा विषय है, उसमें वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट की जरूरत नहीं है। प्रयोग के नाम पर सूफी कलामों की रूह को खत्म न करें।

छाप तिलक सब छीनी रे

लोकरंग कार्यक्रम के अंतर्गत ‘पीर पराई जाणे रे’ भक्ति संध्या का आयोजन किया गया। इस दौरान भारती बंधु एवं साथी कलाकारों द्वारा कबीर के भजनों की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति की शुरुआत ‘मन लागो मेरो यार फकीरी...’ गाने से की। इसके बाद उन्होंने दो सूफी गीत की प्रस्तुति दी, इसमें पहले ‘छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइ के...’ और ‘दमा दम मस्त कलंदर...’ गाने को सुनाया तो सभागार में उपस्थित श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं भारती बंधु ने समापन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाणे रे...’ गीत के साथ किया।

कबीर का समग्र साहित्य मानव समाज के लिए

भारती कहते ह,ैं कबीरा सोई पीर है, जो जाने पर पीर, जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर। कबीर का समग्र साहित्य मानव समाज के लिए है। वो कुछ भी सुने और पढ़े। उससे आपका तनाव भी कम होगा। आप सात्विक हो जाएंगे। युवा पीढ़ी कबीर को अपनाए उन्हें सुने। कबीर की वाणी में रंग भेद नहीं है, जातिवाद नहीं है।

कदम के पेड़ को दिया दीये का रूप

प्रदर्शनी में कदम के पेड़ के प्रतिरूप में बने दीये को पसंद किया जा रहा है, जो कि 80 साल पुराना है। पेड़ की शाखाओं को दीये का रूप दिया गया है। इसे रजनीश सोनी ने तैयार किया है। दीये की खास बात यह ेहैं कि कदम के पेड़ के नीचे भगवान कृष्ण बंसुरी बजा रहे हैं जिसे सुनाने के लिए पेड़ पर विभिन्न प्रकार के पक्षी बैठे हुए हैं।

एक साथ 22 दीपक को कर सकते हैं प्रज्ज्वलित

प्रदर्शनी में 40 साल पुराना गज लक्ष्मी दीये को प्रदर्शित किया गया है। यह दीया टीकमगढ़ से लाया गया है, जिसका वजन लगभग 38 किलो है, जिसमें 22 दीये को एक सात प्रज्ज्वलित किया जा सकता है। इसके अलावा पंच लक्ष्मी दीये को प्रदर्शित किया है, इस दीये में माता लक्ष्मी के सभी हाथों में दीये रखें हुए जो कि 14 साल पुराना है।