वापस नहीं कर सकेंगे अवॉर्ड, देनी होगी लिखित सहमति
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा के बाद राज्य के टॉप एथलीट्स ने अवॉर्ड वापसी की धमकी दी है। इससे पहले भी कई ऐसी घटनाएं आई हैं, जिसमें पदक विजेताओं ने अपने पदक वापस किए हैं। इसबीच परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर बनी संसदीय समिति ने संसद में ‘राष्ट्रीय अकादमियों और अन्य सांस्कृतिक संस्थानों की कार्यप्रणाली’ शीर्षक से एक रिपोर्ट पेश की। वाईएसआरसीपी के विजय साई रेड्डी की अध्यक्षता वाली समिति का सुझाव है कि जब भी कोई पुरस्कार दिया जाए, तो पाने वाले की सहमति जरूर ली जानी चाहिए, ताकि वह राजनीतिक कारणों से इसे वापस न लौटाए, क्योंकि यह देश के लिए अपमान की बात होती है। समिति के सदस्यों में डॉ. सोनल मान सिंह, मनोज तिवारी, छेदी पहलवान, दिनेश लाल यादव निरहुआ, तीरथ सिंह रावत, राजीव प्रताप रूडी आदि शामिल हैं।
राजनीति के लिए नहीं है कोई स्थान
समिति ने कहा कि साहित्य अकादमी और अन्य संस्थान गैर-राजनीतिक संगठन हैं जिनमें राजनीतिवाद के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया, अकादमी द्वारा दिए गए पुरस्कारों को राजनीतिक मुद्दों के विरोध में लौटाने के मामले बढ़े हैं। पुरस्कारों की वापसी से जुड़ी ऐसी अनुचित घटनाएं अन्य पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों को कमजोर करती हैं और पुरस्कारों की समग्र प्रतिष्ठा और सम्मान को भी प्रभावित करती हैं। इसलिए विजेताओं से लिखित सहमति जरूरी है।
2015 से शुरू हुआ था पदक वापसी का चलन
- पुरस्कार वापसी का सबसे अहम मामला, उदय प्रकाश, नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी के नेतृत्व में 33 पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का है, जिन्होंने 2015 में कलबुर्गी हत्या मामले के बाद अपने पुरस्कार वापस कर दिए थे।
- कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवान अपने मेडल को गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार पहुंच गए थे।
देनी होगी अंडरटेकिंग : मामले को रोकने के लिए संसदीय समिति ने एक सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि भविष्य में कोई पदक वापस न करें, इसके लिए एक अंडरटेकिंग फॉर्म भरने की जरूरत है। इस पर सहमति देना जरूरी होगा कि भविष्य में मेडल वापस नहीं करूंगा। यदि फिर भी कोई पदक वापस करता है, तो उसे भविष्य में कोई पुरस्कार ने मिले।