युवा उत्सव शुरू, छात्र-छात्राओं ने कला-कौशल का प्रदर्शन किया

युवा उत्सव शुरू, छात्र-छात्राओं ने कला-कौशल का प्रदर्शन किया

ग्वालियर। जीवाजी विवि में तीन दिवसीय अंतर विवि स्तरीय युवा उत्सव की शुरूआत शुक्रवार से हो गई। उत्सव में 11 विश्वविद्यालयों के सांस्कृतिक दल कला-कौशल का प्रदर्शन करने के लिए पहुंचे हैं। दल नाचते-गाते और कला का प्रदर्शन करते हुए विवेकानंद गार्डन से अटल सभागार तक पहुंचे। जहां विवि के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी, मुख्य अतिथि राजमाता कृषि विवि के कुलपति प्रो. अरविंद शुक्ला, संगीत विवि के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर और छात्र कल्याण प्रो. जेएन गौतम ने हरी झंडी दिखाकर उत्सव की शुरूआत की।

पहले दिन क्लासिकल इन्स्ट्रूमेंटल सोलो परकुशन, स्किट, क्लासिकल इन्स्ट्रूमेंटल सोलो नॉन परकुशन, मिमी, पोस्टर मेकिंग, वेस्टर्न वोकल सोलो, वेस्टर्न ग्रुप सॉन्ग, क्विज, क्विज फाइनल राउंड प्रतियोगिता हुई, जिनमें प्रतिभागियों ने दमखम दिखाया और खूब तालियां बटोरीं। उत्सव में जेयू सहित अन्य विश्वविद्यालयों के 700 प्रतिभागी शामिल हुए हैं।

युवाओं के बीच में रहोगे तो युवा बने रहोगे : प्रो. तिवारी

जेयू कुलपति प्रो. तिवारी ने कहा कि युवाओं के बीच में रहोगे तो युवा बने रहोगे। युवाओं को आगे बढ़ाना है तो इस प्रकार के आयोजन होते रहना चाहिए। मेरे शब्द कोष में हार-जीत नहीं बल्कि सफल और असफल है, क्योंकि व्यक्ति असफलता से ही सफलता की ओर बढ़ता है। कार्यक्रम के दौरान स्मारिका का विमोचन किया गया। विशिष्ट अतिथि संगीत विवि कुलपति प्रो साहित्य कुमार नाहर ने कहा कि जहां युवा है वहां तरंग है और जहां तरंग है वहां युवा है। विवि के कुलाधिसचिव प्रो. डीएन गोस्वामी ने कहा कि युवा उत्सव का मंच युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता है। एक-दूसरे की संस्कृति को समझने का अवसर मिलता है।

संगीत की तरंग हमें ईश्वर से जोड़ती है : प्रो. शुक्ला

युवा उत्सव के शुभारंभ के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित कृषि विवि के कुलपति प्रो. अरविंद शुक्ला ने कहा कि अगर कोई तनाव में है, इसका सबसे अच्छा उपाय है संगीत, संगीत से तनाव दूर होता है। संगीत की तरंग हमें ईश्वर से जोड़ती है। हार-जीत के लिए नहीं बेहतर प्रदर्शन के लिए भाग लेना चाहिए। आपको प्रकृति से जुड़े रहना है और रोगों से मुक्त रहना है। उन्होंने कहा कि कल्चर और एग्रीकल्चर में गहरा सम्बन्ध है।

ये विवि हुए शामिल

राजा शंकर शाह विवि, छिंदवाड़ा, पं. एसएन शुक्ल विवि, शहडोल, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि (छतरपुर), अवधेश प्रताप सिंह विवि, रीवा, जीवाजी विवि, ग्वालियर, रानी दुर्गावती विवि, जबलपुर, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, बरकतउल्ला विवि, भोपाल, महर्षि पाणिनि संस्कृत वैदिक विवि, उज्जैन, राजा मान सिंह विवि, ग्वालियर, देवी अहिल्याबाई विवि, इंदौर शामिल हैं।