14 वर्ष से कम उम्र के लगभग 44 फीसदी बच्चे नशे की गिरफ्त में

14 वर्ष से कम उम्र के लगभग 44 फीसदी बच्चे नशे की गिरफ्त में

जबलपुर । विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत देश में नशा करने वाले 5 बड़े राज्यों में मध्यप्रदेश टॉप राज्यों में है। जबकि नेशनल क्राईम ब्यूरों 2018-19 की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश अवैध ड्रग्स में टॉप 3 राज्यों में शामिल है। सार्वजनिक स्थलों पर नशे के विक्रय एवं सेवन पर रोक के लगाने के लिए कोटपा एक्ट बनाया गया है। जिससे सार्वजनिक स्थलों में नशें का सेवन एवं विक्रय न हो सकें,इस एक्ट के तहत 5 वर्षो में बमुश्किल भोपाल और इंदौर में करीब साढ़े 4 सौ लोगों पर कार्रवाई की गई है, लेकिन जबलपुर में सार्वजनिक स्थलों में शराब सहित अन्य नशें का विक्रय हो रहा है, परंतु एक भी कार्रवाई नहीं की गई है। लिहाजा आलम यह है कि युवा नशें की गिरफ्त में जकड़ता जा रहा हैं। गौरतलब है कि नेशनल क्राइम ब्यूरों की नवीनतम रिपोर्ट 2019 के अनुसार पूरे देश में मध्यप्रदेश टॉप पर है जहां पर नकली शराब के सेवन से सर्वाधिक मृत्यु हुई है। 2018-19 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में नकली और अवैध शराब के सेवन से 410 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय एवं स्कूली शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2016-17 में एक सर्वे कराया था,जिसमें 14 वर्ष की कम उम्र के बच्चे लगभग 44 प्रतिशत नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। एक रिसर्च जिसका नाम एपिडेमियोलॉजी स्टडी आॅन ड्रग्स एब्यूज इन मध्यप्रदेश 2016-17 के अनुसार मध्यप्रदेश में 39 प्रतिशत व्यक्ति नशे के आदि पाए गए है। जिसमें सर्वाधिक तम्बाकू उत्पाद 38.6 प्रतिशत इस्तेमाल करते है। वहीं नशे की लत की छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति केन्द्र भी बनाएं गए है।

50 हजार लोग कैंसर से पीड़ित

नशा के इस्तेमाल से कैंसर की बीमारी होती है। प्रदेश में शराब, तम्बाखू का सेवन करने से प्रतिवर्ष 50 हजार लोग मुंह के केंसर और पेट के केंसर से पीड़ित हो रहे है। वहीं नेशनल हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट 2018-19 में बिड़ी सिगरेट पीने से फेफड़े में इन्फेंक्शन के कारण टीवी की बीमारी से 10 हजार मामले हर साल आते हैं।

नशे के लिए गुटखा का सर्वाधिक प्रचलन

नशे के लिए सर्वाधिक करीब 54 प्रतिशत गुटखा का सेवन किया जाता है। इनमें से 81.6 प्रतिशत पुरुष एवं 19 प्रतिशत महिलाएं भी नशा करती हैं। व्यापारी 33.2 प्रतिशत,कर्मचारी 39 प्रतिशत, लेबर क्लास 20 प्रतिशत,स्टूडेंट्स 4.6 एवं अन्य वर्ग 12.2 प्रतिशत खाता है। 26.5 प्रतिशत शराब,दर्द निवारक 9.8 एवं अफीम आदि 5.7,नींद की गोलियां 2.4 तथा 17 प्रतिशत अन्य नशे का इस्तेमाल लोग करते हैं।

हाईकोर्ट में लगाई गई थी याचिका

नागरिक उपभोंक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांतीय संयोजक मनीष शर्मा ने बताया कि 2014-15 में नशें के कारोबार को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिसमें न्यायालय ने तम्बाखू युक्त गुटखा के विक्रय पर रोक लगा दी है। जिसके कारण अब दुकानों में बिकने वाले गुटखे में तम्बाखू नहीं मिली ही विक्रय की जाती है। साथ ही गुटखें,शराब और सिगरेट,बिड़ी की पॉकेट में ऊपर लेवल लगा मिलेगा जिसमें उक्त उत्पाद का सेवन करना हानिकारक लिखा रहता है।