संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन: घोष

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संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन: घोष

ग्वालियर। वर्तमान में कोरोना वैश्विक बीमारी बन चुकी है। दुनियाभर के देश इससे बचने के प्रयासों में लगे हुए हैं, लेकिन हमें भी अपनी ओर से बचाव के रास्ते अपनाने चाहिए। यदि देखा जाए तो सोशल डिस्टेंसिंग में छ: फीट की दूरी अपनाना जरूरी है। इसके अलावा पर्सनल प्रोटेक्शन और केस डिटेक्शन प्रोसेस पर भी ध्यान देना चाहिए। वीआईटी चेन्नई की डॉ. मिनी घोष ने जीवाजी विवि की गणित अध्ययनशाला की ओर से मैथमेटिकल मॉडलिंग पर्सपेक्टिव्स फॉर प्रीडिक्शन आॅफ स्प्रेड एंड कंट्रोल स्ट्रेटजीज फॉर कोविड-19 विषय पर हुए वेबिनार में बोल रही थी। जादवपुर यूनिवर्सिटी कोलकाता के डॉ. एन बैरागी ने कहा कि कोरोना को समझने की जरूरत है, इसका प्रभाव जुलाई के तीसरे सप्ताह तक रहेगा। इसके संक्रमण को अगले साल के फरवरी महीने तक नियं़ित्रत किया जा सकता है। एबीवी ट्रिपल आईटीएम के प्रो. जे. धर ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए तीन रणनीतियों के बारे में बताया। इनमें पहली है संक्रमित व्यक्तियों को कोरंटाइन करना, दूसरी जिन व्यक्तियों में कोविड-19 के लक्षण दिखाई दें उन्हें हॉस्पिटल के अलग वार्ड में रखा जाए, तीसरा मीडिया के माध्यम से एनपीआई का प्रचार-प्रसार किया जाए। भौतिकी अध्ययनशाला में आॅनलाइन हुआ पीएचडी वायवा जेयू की भौतिकी अध्ययनशाला द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पीएचडी वायवा कराया गया। प्रो. डीसी गुप्ता की छात्रा सृष्टि सिंह ने अपने शोध को आॅनलाइन स्क्रीन के जरिए दिखाकर बताया कि उन्होंने ग्रीन एनर्जी पर कार्य करते हुए नए मटेरियल डिजाइन किए हैं, जो वेस्ट हीट को इलेक्ट्रिकल हीट में बदल देते हैं। इसका उपयोग ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में, बैटरी और डीजल- पेट्रोल दोनों से चलने वाली गाड़ियों में ऊर्जा की बचत के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही इसके उपयोग के द्वारा कोई वाहन अतिरिक्त भी चल सकेगा, जिससे फ्यूल पर होने वाला खर्च कम हो सकता है।