आदि शंकराचार्य की सन्यास दीक्षा स्थली को डूब का खतरा

जबलपुर । समीपस्थ नरसिंहपुर और रायसेन जिले के मध्य नर्मदा नदी पर चिनकी उमरिया बांध परियोजना प्रस्तावित है जिसके विरोध में 49 गांवों के रहवासियों सहित जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भी सामने हैं। शंकराचार्य इसलिए खफा हैं क्योंकि वे जिले की भरपूर उपजाऊ 89 हजार हैक्टेयर भूमि सहित भगवान आद्य शंकराचार्य की सन्यास दीक्षा स्थली गुरू गुफा व अन्य धार्मिक स्थलों के डूब में जाने के विर ोध में हैं। एक शोध में जिसे रिटायर्ड आईसीएस अधिकारी एन के दुबे ने आदि शंकराचार्य की सन्यास दीक्षा स्थली गुरू गुफा के नाम से प्रकाशित भी किया है में बताया गया है कि पृथ्वी की भूगर्भीय हलचल के दौरान यह गुफा बनी होगी जो कि करीब 10 लाख वर्ष प्राचीन है। करीब 60 मीटर गहरी और बेहद सकरी यह गुफा सर्पाकार है। इसमें चट्टानें ज्वालामुखी के सक्रिय रहते पिघल कर लंबवत हुई हैं जो उंगलियों की ठोकर से भी मटके जैसी आवाज देती हैं। इसका जिक्र अंग्रेजी शासन काल के गजेटियर में भी है जो वर्ष 1901 में प्रकाशित है इसमें इस क्षेत्र को आदि शंकर की सन्यास दीक्षा भूमि व प्राचीन धरोहर बताया गया है। इस क्षेत्र का नाम अपभ्रंश होकर सांकल घाट हुआ जहां सदियों पुराना मेला लगता आया है।
ऐसे हुई गुफा की खोज
करीब 45 वर्ष पूर्व द्वारका के तत्कालीन शंकाचार्य स्वामी अभिनव विद्यातीर्थ महाराज ने भगवान आद्य शंकराचार्य की सन्यास दीक्षा स्थली को खोजने कई स्थलों पर भ्रमण किया मगर वे सफल नहीं हो पाए ऐसे में उन्होंने बदरीकाश्रम ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को इस कार्य को करने कहा। जिन्होंने नर्मदा तट पर अपने भक्तों से ऐसी कोई गुफा की खोज करने कहा। इस दौरान हीरापुर के राजा और एक अन्य व्यक्ति ने इस गुफा के बारे में बताया। मौके पर जाकर जब शंकराचार्य जी ने देखा तो गहरे गड्ढेनुमा आकार में गुफा का प्रवेश द्वार दिखा जिसमें वे रस्सी के सहारे उतरे। बेहद दुर्गम जगह पर होने और नर्मदा तट करीब होने से इसकी सन्यास दीक्षा स्थली होने की संभावनाएं बढ़ीं। इसके बाद शंकराचार्य जी के ब्रम्हचारी निजानंद ने गुफा को वास्तविक स्वरूप में लाने मेहनत की।
उपराष्ट्रपति व श्रृंगेरी के शंकराचार्य भी आए
इस गुफा के दर्शन करने के लिए तत्कालीन उपराष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा जो कि बाद में देश के राष्ट्रपति भी रहे सहित श्रृंगेरी पीठाधीश्वर स्वामी भारतीतीर्थ महाराज का आगमन भी हुआ है। जिन्होंने इसे आद्य गुरू शंकराचार्य की सन्यासदीक्षा स्थली होने का मत दिया है।
फैक्ट फाइल
49 गांव होंगे डूब में बर्बाद
89 हजार029 हैक्टेयर उपजाऊ भूमि डूबेगी
15 मेगावाट बिजली बनेगी
चनकी उमरिया बांध परियोजना को तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री उमाभारती से मिलकर निरस्त करवाया था अब राजनीतिक हितों के चलते एक बार फिर इस परियोजना को प्रारंभ करवाया जा रहा है,नर्मदा में अब और बांध की आवश्यकता नहीं है। कल्याणी पाण्डेय,पूर्व विधायक, पूर्व महापौर,जबलपुर