मैं बचपन में सोचता था कि फौज में जाऊंगा, क्योंकि बचपन में बच्चे हर एक प्रोफेशन के बारे में सोचते हैं। समय के साथ सोच बदल गई और मैं एक्टर बन गया। मेरा ऐसा मानना है कि एक्टिंग के लिए थिएटर करना जरूरी नहीं है, क्योंकि हमारे बीच कई ऐसे भी आर्टिस्ट हैं जो बिना थिएटर बुलंदियों को छू रहे हैं। अमिताभ बच्चन ने भी थिएटर नहीं किया तो भी वो एक सफल अभिनेता हैं और मैं भी अमितजी का बहुत बड़ा फैन हूं । जरूरी नहीं है कि हर एक सफल और अच्छा कलाकार थिएटर से सीखा हुआ हो।हां, यदि थिएटर आस-पास हो तो उसका हिस्सा बनना चाहिए इससे कलाकारों को फायदा ही होगा नुकसान नहीं। ऐसा करके आप एक्टर के रूप में तैयार हो जाओगे और बड़े- बड़े चैलेंज एक्सेपट कर पाओगे। यह कहना है एक्टर, शरमन जोशी का जो अपनी अपकमिंग फिल्म फौजी कॉलिंग के प्रमोशन के लिए शहर में मौजूद थे। उन्होंने आईएम भोपाल से खास बातचीत में जीवन से जुड़े अनुभव शेयर किए।
फौजियों की शहादत को कभी न भूलें
शरमन ने कहा कि देश को गर्व होना चाहिए कि फौजी हमारे देश की रक्षा और सुरक्षा में किस तरह से अपना घर द्वार छोड़कर लगे हुए हैं। उसके बाद भी सिर्फ चंद दिनों तक शहीदों की शहादत याद की जाती है। हमारी यही छोटी कोशिश पूरे देश की जनता की सोच को एक पल के लिए हिला देगी कि हम उन कुर्बानियों को भूले नहीं, बल्कि सालों तक उन शहीदों की कुबार्नी जहन में रहे।
हर एक्टर का अपना थॉट प्रोसेस
इंडस्ट्री से जुड़े कई लोग पॉलिटिकल मुद्दों पर खुलकर बोलते हैं। इससे उनकी विचारधारा पता चलती है यह उनका थॉट प्रोसेस है। बॉलीवुड में नशे की लत या आदत के सवाल पर शरमन ने कहा कि बॉलीवुड ही नहीं सब जगह नशा हो रहा है। शरमन का कहना है कि मेरा लॉकडाउन अच्छा नहीं रहा मैं जो करना चाह रहा था शुरुआत तो की , लेकिन अंत नहीं कर पाया। जैसे मुझे एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना सीखना था और मैंने शुरुआत पियानो से की, लेकिन उसको पूरी तरह से नहीं सीख पाया।
देश में महिलाएं हर क्षेत्र में आगे
फौज में महिलाओं को बराबरी का हिस्सा देने पर शरमन कहते हैं कि ऐसा करने से महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ेंगी और फौज ही नहीं बल्कि हमारे देश में हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं और देश की सरकार और देश की जनता भी महिलाओं को हमेशा आगे लाने की कोशिश में लगी हुई है। शरमन ने बताया कि फौजी कॉलिंग मूवी फौज परिवारों पर केंद्रित है, इस फिल्म के जरिए दिखाया गया है कि जब भी किसी परिवार का फौजी बेटा शहीद होता है तो इस परिवार पर क्या गुजरती है।
एक्टर्स को अपनी बात रखने की आजादी
एक्टर रांझा विक्रम सिंह ने सोशल मीडिया पर एक्टर्स की देश को लेकर टिप्पणी पर कहा कि उन मुद्दों पर अपनी बात रखनी चाहिए जो देश हित में हो। अक्सर ऐसा देखा जाता है जब कभी भी कोई एक्टर किसी भी मुद्दे पर अपनी बात सोशल मीडिया पर रखते हैं तो उन्हें टारगेट किया जाता है, जो गलत है । उन्हें किसी एक पार्टी का बता दिया जाता है। एक्टर्स को अपने विचार रखने की पूरी आजादी है और उन्हें किसी भी तरह से ट्रोल या टारगेट करना गलत होगा।
फौजी परिवारों के इमोशंस को समझती हूं
एक्ट्रेस बिदिता बाग ने बताया कि मैं केंद्रीय विद्यालय की स्टूडेंट रही हूं और उस दौरान मेरे साथ कई ऐसे बच्चे भी थे जिनके पिता फौज में थे। उनके टच में रहने की वजह से मैंने उनकी फिलिंग्स को महसूस किया है साथ ही आईएनएस विक्रांत और फौज से जुड़ी कई चीजों को जाना और समझा है। उन्होंने बताया कि इस फिल्म की तैयारी के लिए मैंने शहीदों के परिवारजन के इंटरव्यू देखे और पढ़ें हैं। साथ ही शहीद परिवारों की इमोशंस के बारे में जानने की कोशिश की है।