काहिरा। मिस्र में शनिवार को भव्य परेड का नजारा देखा गया। यह ऐतिहासिक परेड आयोजित की गई थी 22 ममीज के लिए, जो मशहूर राजा फिरौन के साथ ही अन्य राजाओं की हैं। इन्हें सेंट्रल काहिरा के एक म्यूजियम से तहरीर स्क्वैयर होते हुए नेशनल म्यूजियम आफ इजिप्शियन सिविलाइजेशन ले जाया गया, जहां मिस्र की पहली इस्लामिक राजधानी थी। दिलचस्प बात यह है कि इसे लेकर कई शंकाएं जताई गई और शाप का डर भी फैला रहा, लेकिन आधुनिक मिस्र ने इन्हें नजरअंदाज करते हुए परेड का फैसला किया। परेड के दौरान इन्हें खास केसेज में ट्रकों में रखा गया और उन्हें पारंपरिक अंदाज में सजाया गया। परेड की शुरुआत 21 तोपों की सलामी से हुई और लाइट-म्यूजिक का कार्यक्रम पेश किया गया। इन ममियों में राजा रामसेस द्वितीय, सेती प्रथम, रानी हटशेपसूट आदि शामिल हैं।
मिस्र में हो रही घटनाएं केवल संयोग मात्र
सरकार का कहना है कि काहिरा के म्यूजियम में सारी ममी को एक साथ रखने से पर्यटक उन्हें एक ही जगह देख सकते हैं। वहीं, डेली मेल के मुताबिक एक शाप में कहा गया था कि जो व्यक्ति राजा फराओ की शांति में खलल डालेगा, उसके पास मौत बहुत तेजी से आएगी। इस तरह के डर को सही साबित करने के लिए मिस्र में हाल में हुए हादसे गिनाए गए लेकिन पुरातत्वविदों ने ऐसे दावों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, मिस्र में हो रही इस तरह की घटनाएं केवल एक संयोग मात्र हैं।
आखिर कौन था फिरौन?
फिरौन 16वीं शताब्दी ईसा पूर्व में मिस्र का सबसे ताकतवर बादशाह था। कहा जाता है कि हक्सोस राजवंश के साथ लड़ाई में पकड़े जाने के बाद फिरौन को मौत के घाट उतार दिया गया था। तब से फिरौन को ममी बनाकर थेब्स में नेक्रोपोलिस के भीतर दफना दिया गया था। इस ममी की खोज 1881 में की गई थी। तब यह पता नहीं चल सका था कि उसके शरीर पर कई जानलेवा चोट के निशान थे। अब जब उनके सिर का सीटी स्कैन किया गया है तो वैज्ञानिकों को कई गंभीर घाव के निशान मिले हैं।