500 करोड़ का बजट दूसरे कामों में खर्च, होगी ऑडिट

500 करोड़ का बजट दूसरे कामों में खर्च, होगी ऑडिट

 भोपाल । आदिवासियों को पशुपालन से जोड़कर श्वेत क्रांति लाने के लिए अलॉट करोड़ों रुपए का बजट पशुपालन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की जरूरतों और वेतन भक्तों पर खर्च किया जा रहा है। आलम है की पशुपालन विभाग बीते 5 साल में 500 करोड़ रुपए निर्धारित मद से हटकर राशि खर्च कर चुका है। जबकि आदिवासी विभाग में 100 कर्मचारी और इससे ज्यादा शिक्षक सिर्फ खर्च राशि की मॉनीटरिंग के लिए तैनात हैं। अनुसूचित जनजाति उपयोजना (टीएसपी) की राशियों का उपयोग सिर्फ आदिवासी वर्ग को सीधे लाभ देने वाली योजनाओं पर ही खर्च किये जाने के प्रावधान हैं। बावजूद वेतन, भत्ते वितरण, बिल्डिंग निर्माण, रखरखाव, सामग्रियों की खरीदी, अधिकारियों कर्मचारियों को प्रशिक्षण जैसे कामों के लिए किया जा रहा है।

 आदिवासियों के पैसे से पशु विज्ञान महाविद्यालय

सूत्रों के अनुसार पशु विज्ञान महाविद्यालय के संचालन के लिए भी टीएसपी फंड का उपयोग हो रहा है। इससे आदिवासी हितग्राहियों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। पशु चिकित्सालय और पशु औषधालयों पर खर्च हो रही राशि में से कितनी राशि आदिवासी क्षेत्र में खर्च हो रही है या सामान्य क्षेत्र में? इसका ब्यौरा भी जिम्मेदारों के पास नहीं है।

विधानसभा में उठे सवाल फिर भी जिम्मेदारी तय नही

आदिवासी विधायक संजय उइके, नारायण पट्टा, डॉ. अशोक मर्सकोले और डॉ. हीरालाल अलावा विधानसभा में प्रश्न किये। सरकार ने अवश्यक कार्रवाई करने के आश्वासन दिए लेकिन अब तक मामला ठडा है।

 1 लाख आदिवासियों का विकास प्रभावित 

पशुपालन विभाग में एक पशु एक आदिवासी के नाम पर औसतन 50 हजार रूपए दिए जाते हैं। यानि 500 करोड़ में अब तक 1 लाख पशु आदिवासी हितग्राहियों को मिल जाते।3

 बजट के उपयोग की होगी जांच

आदिवासी क्षेत्रों पर खर्च होने वाली राशि के उपयोग के लिए डीएडीपी है जोकि नजर रखता है। इसमें मिस यूज होने को लेकर विभागीय मंत्री और पीएस के साथ मीटिंग के बाद जांच कराने को तय किया गया है। चंद्रशेखर बोरकर, आयुक्त, आदिम जाति कल्याण विभाग