बस ऑपरेटर्स बोले-किराया तय कर तीन माह का टैक्स माफ करें

भोपाल। शासन की अनुमति के बाद भी प्रदेश भर में मंगलवार को इंटरसिटी बसें चलना शुरू नहीं हो सकीं। दरअसल, बस ऑपरेटर्स तीन माह से खड़ी बसों का टैक्स नहीं देना चाहते और राज्य सरकार ने भी लॉक डाउन का परिवहन टैक्स माफ करने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है। शासन को भेजे गए प्रस्ताव में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स राशि माफ करने की मांग की है। इसके अलावा नए किराए की शासन के सामने मांग रखी है। गौरतलब है कि लॉकडाउन में तीन माह से बसों का संचालन बंद होने से ऑपरेटर यह टैक्स माफ करने की सरकार से मांग कर रहे हैं। सरकार को प्रतिमाह लगभग 36 करोड़ रुपए परिवहन टैक्स मिलता है। वर्ष में यह राशि करीब 432 करोड़ होती है। प्रदेश में प्राइम रूट पर 45 हजार बसें चलती हैं। इस हिसाब से एक बस से परिवहन विभाग द्वारा औसतन 8 हजार रुपए का टैक्स लिया जाता है। शासन के द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने 50 सीटर बस में 25 यात्री बैठाने और सेनेटाइजर सहित जरूरी सुरक्षा एहतिहात बरतना जरूरी किया गया है। ऑपरेटरों का तर्क है कि परिचालन का खर्च तो पहले की ही तरह होगा। आधी क्षमता में चलने पर टैक्स को आधा करे। बस संचालकों का बीमा करे। पेट्रोल- डीजल का रेट एवं एक्साइड ड्यूटी घटाई जाए। कराधान अधिनियम में प्रावधान है कि गाड़ी नहीं चलने पर टैक्स नहीं लिया जा सकता, तो टैक्स माफ हो।