लॉकडाउन के दौरान बच्चों में बढ़े साइबर यौन शोषण के केस

लॉकडाउन के दौरान बच्चों में बढ़े साइबर यौन शोषण के केस

भोपाल | यह दो केस राजधानी के संभ्रांत परिवारों के हैं। दोनों मामलों में माता-पिता वर्किंग पैरेंट्स हैं और बच्चे घर पर अकेले रहते हैं। दोनों ही मामलों में माता-पिता की मॉनिटरिंग ना होने से बच्चे अपराध के शिकार हुए। यह महज बानगी हैं। बच्चों के लिए काम कर रही संस्थाओं चाइल्ड लाइन और सीडब्ल्यूसी के सामने ऐसे कई मामले कुछ समय में आए हैं। इनसे बाल कल्याण समिति खासी चिंतित है और पॉजिटिव पैरेंटिंग काउंसलिंग की योजना बना रही है, जिससे बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके। लॉकडाउन के दौरान इजाफा: बच्चों से जुड़ी संस्थाओं के अनुसार पहले जहां दो से तीन माह में ऐसे एक-दो मामले पहुंचते थे, जो लॉकडाउन के दो माह में बढ़कर 10 से 12 हो गए हैं। ये वह मामले हैं जो बच्चों के साथ हुए सोशल हरासमेंट के रूप में किसी न किसी फोरम पर रजिस्टर्ड हुए हैं। कई मामले आना बाकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों के घर से बाहर न निकल पाने से वर्चुअल वर्ल्ड के अधिक पास आए। वहीं, आॅनलाइन क्लासेस से मोबाइल-लैपटॉप और इंटरनेट उनकी पहुंच में हैं। यही वजह है कि बच्चों के साथ साइबर यौन शोषण के मामले बढ़ रहे हैं। इन मामलों पर नजर रख कर इन्हें तुरंत रोकने की जरूरत है।

केस-1

बीते दिनों किशोरी के गर्भवती होने का मामला सामने आया। इस दौरान काउंसलिंग में पता चला कि 15 वर्षीय सौतेले भाई से संबंध के चलते उसे आठ माह का गर्भ है। आॅनलाइन गेम में पोर्न लिंक खुलने से ऐसा हुआ।

केस-2

कोलार की किशोरी द्वारा अश्लील चैट करने पर उसके दोस्त द्वारा उसे ब्लैकमेल करने का मामला सामने आया था। दोस्त एक माह से उससे पैसे मांगता रहा और शारीरिक संबंध बनाने का दबाव भी बनाया।

तैयार हो रही कार्ययोजना

अभी जो घटनाएं हमारे पास आई हैं, उसे देख बाल कल्याण समिति को महसूस हो रहा है कि अभिभावकों की काउंसलिंग बेहद जरूरी है। इससे बच्चों से संवाद स्थापित होगा। पॉजिटिव पैरेंटिंग कैसे की जाए, इस पर पूरी कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसे मीडिया के माध्यम से अभिभावकों तक पहुंचाने पर विचार किया जा रहा है। डॉ. कृपाशंकर चौबे, सदस्य, सीडब्ल्यूसी