बाल श्रम निषेध दिवस : हर साल करीब 4.5 लाख बच्चे बनते हैं बाल श्रमिक

बाल श्रम निषेध दिवस : हर साल करीब 4.5 लाख बच्चे बनते हैं बाल श्रमिक

 भोपाल । प्रदेश में बालश्रम का क्या हाल है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 4.5 लाख बच्चे स्कूल से ड्राप आउट हैं और बालश्रम से जुड़ते हैं, क्योंकि इनके माता-पिता काम के लिए पलायन करते हैं। कोरोना के संक्रमण ने इस हालत को और गंभीर बना दिया है। बालश्रम विरोधी अभियान मप्र से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता रामकुमार विद्यार्थी का मानना है कि जो बच्चे स्कूल से दूर हैं, उनके बालश्रम के शिकार होने की प्रबल संभावना है।

7-8 लाख बच्चे बालश्रम में फंसे

जनगणना 2011 में प्रदर्शित लगभग 7-8 लाख बच्चे अभी भी बालश्रम में फंसे हुए थे। 2020 तक उनकी संख्या काफी बढ़ चुकी है। लॉकडाउन के बाद कई काम बंद होने से ये बच्चे शहरों में सब्जीफल आदि बेचने लगे हैं।

सरकार का डाटाबेस नहीं अपडेट

मप्र सरकार के पास राज्य में काम करने वाले बाल श्रमिकों का कोई अपडेट डाटाबेस नहीं है। सरकारी आंकड़े राज्य में बाल श्रमिकों की अब भी वहीं संख्या बताते हैं, जो 2011 की जनगणना पर आधारित है। इस संख्या के अनुसार प्रदेश में 7,00,239 चाइल्ड लेबर हैं, जो पूरे देश के बाल श्रमिकों का 7 प्रतिशत है और इसके हिसाब से बाल श्रम के मामले में प्रदेश का देश में 5वां स्थान है।