लद्दाख से चीन की सेना तो हटी नहीं, बल्कि नए मोर्चे खोलने की तैयारी में

नई दिल्ली। चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और डबल गेम खेल रहा है। एक तरफ वह सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता की बात कर रहा है और दूसरी ओर लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल पर नए मोर्चे खोल रहा है। सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी और पैंगोग सो के बाद अब वह दौलत बेग ओल्डी में भी भारतीय सेना की गश्त में बाधा डाल रहा है। चीन ने दौलत बेग ओल्डी और डेस्पांग सेक्टर के पास अपने तंबू गाड़ दिए हैं। सैटेलाइट तस्वीरों में इसका खुलासा हुआ है। वहां चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने भी वहां अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। बुधवार को भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स ने भी उस इलाके के ऊपर उड़ान भरी, जहां 15 जून को झड़प हुई थी। जानकारी के मुताबिक चीन की सेना पैंगोंग झील, जिसे फिंगर एरिया कहा जाता है, उसके पास निर्माण कर रही है और अपने जवान बढ़ा रही है। यहां चीन की सेना के 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात किए जा चुके हैं। भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में फिंगर- 8 तक अपनी सीमा में मानती है, लेकिन चीन ने भारतीय जवानों को फिंगर-4 से आगे जाने से रोक दिया था। पेट्रोलिंग पॉइंट पीपी-15, पीपी- 17 और पीपी-17ए के पास चीन के ठिकाने अभी भी मौजूद हैं। फाइटर जेट्स बढ़ाए, एस-400 तैनात : चीन ने होटन और गारगुंसा एयरबेस पर फाइटर जेट्स बढ़ा दिए हैं। यहां पर बॉम्बर्स और एसयू-30 फाइटर जेट्स की तैनाती की गई है। इसके साथ ही दौलत बेग ओल्डी सेक्टर के सामने वाले इलाकों में भी चीनी सेना भारत के पेट्रोलिंग पॉइंट 10 से 13 के बीच भी मुश्किलें खड़ी कर रहा है। चीन ने सीमा पर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 भी तैयार रखा है।
सामरिक महत्व के काराकोरम दर्रे पर नजर
मामले के जानकारसूत्रों का कहना है कि चीन काराकोरम दर्रे के पास के इलाके में भी घुसपैठ करना चाहता है। भारत, चीन और पाकिस्तान के लिए यह दर्रा सामरिक दृष्टि से बहुत अहम है। ओपन सोर्स से मिली 22 जून की सैटेलाइट तस्वीरों में दिख रहा है कि चीन की सेना गलवान घाटी से पीछे नहीं हटी है। 15 जून को जहां दोनों सेनाओं में हिंसक झड़प हुई थी। यहां भारतीय पक्ष के तंबू संघर्ष की जगह से 500 मीटर दूरी पर हैं। वहीं चीनियों का तबुंओं और स्टोरेज का दायरा ज्यादा बड़ा फैला है और संघर्ष की जगह के बहुत पास है।