सीएम जबरदस्ती परीक्षा कराकर कोरोना बढ़ाएंगे: शर्मा

The strike

सीएम जबरदस्ती परीक्षा कराकर कोरोना बढ़ाएंगे: शर्मा

ग्वालियर। विद्यालय महाविद्यालयों में जर्नल प्रमोशन दिए जाने की मांग को लेकर कांग्रेस भवन पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे मिलन तिवारी, विश्वजीत भदौरिया के दूसरे दिन शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र शर्मा ने भूख हड़ताल कर रहे छात्रो के बीच पहुचंकर उनके साहस और छात्रों के हितो की मांग को समय अनुकूल बताया। इस अवसर पर विधायक प्रवीण पाठक, प्रदेश महासचिव अशोक शर्मा भी अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल कर रहे छात्रों के बीच उपस्थित रहें। शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि जब पूरे भारत में केवल 500 कोरोना मरीज थे, तब लॉकडाउन किया गया भारत में 2 लाख 60 हजार मरीज है, मप्र में 10 हजार कोरोना मरीज है, ग्वालियर में 219 के आसपास कोरोना मरीज है एैसे गंभीर समय में भाजपा प्रदेश सरकार छात्रों को जर्नल प्रमोशन देने की बजाय छात्रों जबरदस्ती परीक्षा कराकर उन्हें कोरोना महामारी की और ढकेल रही है, क्योंकि परीक्षा के दौरान 2 गज की दूरी होना आवश्यक है, इसकी चिंता किए बिना भाजपा सरकार द्वारा शासन में मदमस्त होकर छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है। अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों के बीच विधायक प्रवीण पाठक, प्रदेश महासचिव अशोक शर्मा, पूर्व पार्षद रवि भदौरिया, युवा कांग्रेस अध्यक्ष हेवरन कंसाना, ब्लॉक अध्यक्ष राजेश बाबू, संतोष शर्मा, इब्राहीम पठान, कैलाश चावला, अख्तर हुसैन कुरैशी सेवादल के पूर्व अध्यक्ष हमीद खां उस्मानी, हसन मोहम्मद कुरैशी, रशीद पहलवान, मुनेन्द्र भदौरिया, संजीव दीक्षित, अभिषेक शर्मा, अभिषेक उपध्याय, अजीत गोस्वामी, संकल्प गोस्वामी, विनीत गोस्वामी, सूर्या जेन, मन्नू परिहार, प्रशांत जादौन, मोनू जेन, सरमन राय, सचिव द्विवेदी, आर्यन शर्मा, पियूष जोशी, आशुतोष शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, सौरभ दुबे, यतेन्द्र सिंह, विभोर मेहता, राहुल रावत आदि उपस्थित थे।

विधायक पाठक ने गांधी प्रतिमा के सामने मौन रखा
ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा के सामने सांकेतिक रूप से दस मिनट का मौन रखा। पाठक का कहना है कि प्रदेश सरकार के मुखिया को चाहिए था कि वे अपने भांजे-भांजियों का ख्याल करते और 12 वी की परीक्षा की जगह जनरल प्रमोशन देना चाहिए था। मामा को भांजे-भांजियों की याद सिर्फ चुनाव के समय आती है। शेष दिनों में नहीं।