100 साल पुरानी विदेशी विंटेज घड़ियों का कलेक्शन सिटी वॉच लवर्स के पास

I AM BHOPAL । माना जाता है कि सूर्य घड़ी वैज्ञानिक रूप से समय की गणना करने वाला पहला आविष्कार है। तब से अब तक घड़ियों ने एक लंबा और दौर तय किया है। अब वे डिजिटल से नेनो सेकंड भी बताती है। नेशनल वॉच डे(19 जून) के मौके पर शहर में विंटेज घड़ियों को सहेजने वाले नारायण व्यास और आफताब लईक अहमद से बात की। इनके पास कुछ पुरानी घड़ियों का कलेक्शन देखा जा सकता है। इसके अलावा हमीदिया अस्पताल स्थित घंटाघर को लेकर भी रोचक जानकारी मिली जिसे कई लोगों ने देखा तो है, लेकिन इसकी मालूमात कम ही लोगों को है।
नेशनल वॉच डे क्यों मनाया जाता है
अमेरिकन लग्जरी डिपार्टमेंट चेन स्टोर ने साल 2017 में नेशनल वॉच डे की शुरुआत की थी। इसका मकसद था कि हम घड़ियों के इतिहास और डिजाइन्स को रिकॉल कर सकें। 1510 में पहली बार पीटर हेनलीन ने ऐसी घड़ी बनाई थी जो आकार में छोटी थी और जिसे कहीं भी अपने साथ ले जाया जा सकता था। लोग उन घड़ियों को अपनी जेब में रखा करते थे जिसके कारण उनका नाम पॉकेट वाच पड़ गया। यूं तो घड़ियों का आविष्कार 14 वीं शताब्दी में ही हो चुका था, लेकिन यह शुरुआत में सिर्फ घर तक ही सीमित थीं।
भोपाल के घंटाघर के लिए 1930 में लंदन से आई थी घड़ी
हमीदिया अस्पताल में सुप्रीटेंडेट ऑफिस वाली लाल रंग की इमारत के टॉवर चारों तरफ लगी चार घड़ियां शहरवासियों ने देखी थी। साल 1930 में बेगम सुल्तान जहां बेगम ने यह घड़ी इस इमारत में लगवाई थी। 1929-30 में प्रिंस ऑफ वेल्स नाम से कोतवाली में स्थित अस्पताल को इस लाल इमारत में शिफ्ट किया गया। जब यहां अस्पताल बना तो लंदन से बेगम ने यह घड़ी मंगवाई क्योंकि उस समय घंटाघर बड़े नगरों में हुआ करते थे। इस घंटे की आवाज से पुराने शहरवासियों को समय की जानकारी मिलती थी। लेकिन अब यह घड़ी बंद है, क्योंकि जो परिवार इसे रिपेयर किया करता था, उनके पूर्वज व बेटे इस दुनिया में नहीं हैं। इसका रखरखाव व पुर्जे भी नहीं मिल पाते, लेकिन जानकारों का मानना है कि किसी कंपनी को घड़ी को दुरूस्त करने की जिम्मेदारी दी जाए तो यह फिर से चालू हो सकती है। 1974 में इसकी गूंज बंद हो गई लेकिन 1990 तक घड़ी समय बताने के लिए चालू थी। यह घंटाघर इस शहर की धरोहर है और इसे जिम्मेदार संस्था को सहेजना चाहिए।
इबोसा स्विज विंटेज वॉच
मेरे पास करीब 100 साल पुरानी दो घड़ियां हैं। इसमें से एक घड़ी इबोसा कंपनी की स्विज मेड वॉच है। इस घड़ी की खास बात है कि मेरे पिताजी को मेरे दादाजी ने दी थी। बाद में मुझे मेरे पिताजी ने दी। इस घड़ी में व्हाइट डायल वॉच है। यह एक टेबल स्टैंड वॉच है और इसका वजन आम घड़ियों से ज्यादा होता है और पूरी तरह मेटल बॉडी से तैयार की गई है। यह घड़ी आज भी इसलिए मेरे पास मौजूद है क्योंकि मुझे पुरातत्व का सामान अपने पास कलेक्ट कर रखना अच्छा लगता है।
जर्मन बेस्ड यूरोपा फोल्डिंग वॉच
ससुरजी ने शादी के समय दी थी। उन्हें यह घड़ी उनके पिताजी ने उन्हें गिफ्ट की थी, जो मुझे बाद में उन्होंने दी। यह फोल्डिंग वॉच दी थी यूरोपा कंपनी की जो जर्मनी बेस्ड कंपनी है। यह भी करीब 100 से ज्यादा साल पुरानी घड़ी है। यह घड़ी पीतल के डिब्बे में आती थी और ब्लैक डायल वॉच होता था। यह दो ज्वेल्स की बनी हुई वॉच है। इस घड़ी में रेडियम डायल भी लगे हुए है। इन घड़ियों की ख़ास बात यह भी थी की इनकी टाइमिंग उत्तरायण और दक्षिणायन पद्धति से की जाती थी ।
100 साल पुरानी घड़ियों का कलेक्शन
मेरे पास गांधी जी वाली पॉकेट वॉच है। दादा के जमाने से यह चली आ रही है। तो इसे 100 साल से ऊपर हो चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया की रोजकॉफ कंपनी की यह घड़ी है। जोकि आर्मी के लिए भी घड़ी बनाती है। यह घड़ी को आज तक सिर्फ एक बार रिपयेरिंग के लिए दिया है, क्योंकि रखें हए जाम हो गई थी।
यूएसए की विंटेज वॉच
दूसरी घड़ी 1857 में यूएसए में बनी वॉटरबेरी कंपनी की है। इस कंपनी की घड़ी काफी पापुलर रही। मेरे ननिहाल वालों ने मुझे यह घड़ी सौंपी, क्योंकि मुझे कलेक्शन का शौक रहा। यह घड़ी लकड़ी के केस में थी, जो कि पुराना हो गया, लेकिन मैंने वैसा ही केस बनाकर इसे सहेज कर रखा है। - आफताब लईक अहमद एंटीक कलेक्टर