390 करोड़ में बनेगा बांध, 15500 हेक्टेयर जमीन होगी सिंचित
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ग्वालियर। कनेरा उद्वहन सिंचाई परियोजना डंप होने के बाद जल संसाधन (सिंचाई) विभाग द्वारा भिंड जिले के अटेर क्षेत्र के किसानों की जमीन के लिए पानी मुहैया कराने के लिए गोरमी (भिंड) पोरसा (मुरैना) के बीच क्वारी नदी पर मोदना के समीप 390 करोड़ के बैराज बनाने की रणनीति तैयार की है। विभागीय स्तर पर इसकी डीपीआर तैयार होकर भोपाल में विचाराधीन है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार कमेटी की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद बैराज बनाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। पोरसा, गोरमी क्षेत्र को भी इस बैराज योजना में शामिल करने पर विचार चल रहा है। 390 करोड़ की डीपीआर में 110 करोड़ रुपए बैराज के लिए अधिगृहीत होने वाली 80 हेक्टेयर जमीन के बदले किसानों को दिए जाना है। क्वारी नदी पर मोदना में 25 मीटर ऊंची और 500 मीटर लंबाई और चौड़ाई में इसे बनाया जाना प्रस्तावित है। यह जमीन अटेर के करीब 40 से 50 गांवों के बीच आती है। चूंकि इस जगह पर क्वारी नदी में पानी काफी रहता आया है, इसलिए बैराज को जल संसाधन विभाग ने प्रस्तावित किया है। यह बैराज मूलत: चंबल पर बनने वाले कनेरा उद्वहन सिंचाई परियोजना को डंप करने के लिए क्वारी नदी पर शिफ्ट किया गया है। इसीलिए परियोजना पूरी होने के बाद मूलत: अटेर विधानसभा क्षेत्र को लाभ दिलाना मुख्य उद्देश्य है।
मेहगांव को भी दिया जाए पानी का लाभ
उपचुनाव के दौर में जल संसाधन विभाग पर इस बात के लिए दबाव आया है कि मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के गोरमी कस्बे की करीब पांच हजार हेक्टेयर जमीन को भी जोड़ लिया जाए भले ही 80 से 100 करोड़ का बजट और बढ़ा लिया जाए। विभागीय स्तर पर इस प्रस्ताव को भोपाल भेज दिया गया है। बैराज की डीपीआर भी भोपाल भेजी जा चुकी है। डीपीआर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साअधिकार समिति द्वारा विचार किया जाएगा। बैराज की डीपीआर सरकार के पास है। सा अधिकार समिति की बैठक में इस पर विचार होगा और उसके बाद वित्तीय स्वीकृति मिलते ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। एचसी शर्मा, ईई, सिंचाई विभाग हमने डीपीआर के बाद पांच हजार हेक्टेयर जमीन मेहगांव की जोड़ने के लिए भी एक प्रस्ताव सरकार को भेजा है। इससे गोरमी की जमीन सिंचित हो सकेगी।
पुरानी परियोजना का सामान करेंगे उपयोग
अधीक्षण यंत्री आरपी झा कहते हैं कि कनेरा उद्वहन सिंचाई परियोजना के लिए आए 4200 मीटर पाइप लाइन का भी नई परियोजना में उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा 6 पंप भी उपयोग किए जाएंगे। यह पंप जल संसाधन विभाग के पास ही सुरक्षित बताए गए हैं। मालूम हो कि बैराज से पानी लिफ्ट करके उसे नहर में डाला जाएगा। कुछ जगह पाइप का भी नहर से जोड़ने के लिए उपयोग किया जाएगा। नहर के जरिए ही पानी को अटेर के टेलएंड तक पहुंचाया जाएगा, ताकि खरीफ की फसल अच्छी तरह से किसान ले सके।