डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में फिर कोताही जगह-जगह लगे हैं ढेर

जबलपुर । डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्थाएं एक बार फिर लड़खड़ाई हैं जिसके कारण शहर में जगह- जगह कचरे के ढेर नजर आने लगे हैं,वहीं घरों में भी काफी मात्रा में कचरा जमा हो गया है। कई-कई दिन तक कचरा वाहन न आने से लोग परेशान हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग की नजर में यह सब नहीं आ पा रहा है। शहर में हर घर से कचरा उठाने के लिए नगर निगम ने वर्ष नवंबर 2017 से एस्सेल कंपनी को ठेका दिया था जो कठौंदा में कचरे से बिजली का प्लांट लगाए हुए है। इस कंपनी ने ठेका तो ले लिया मगर अपने काम से कभी भी शहरवासियों को संतुष्ट नहीं कर पाई। निर्धारित मात्रा में कचरा कलेक्शन टिपर वाहन न लगाना,अपने कर्मचारियों को वेतन न देना जिसके कारण आए दिन कर्मचारियों का हड़ताल पर चले जाना, जैसी अनियमितताएं होती रहीं। कई बार कंपनी का ठेका निरस्त करने की बात चली। कई बार कंपनी के भुगतान में कटौती भी करने की बातें कहीं ग। अब तो कंपनी का हस्तांतरण दुबई बेस्ड मुंबई की कंपनी को कर दिया गया है। इसकी प्रक्रिया संभवतय हो चुकी है मगर अभी तक उक्त कंपनी ने कार्यभार नहीं संभाला है जिसके कारण एस्सेल ही वर्तमान में कचरे से बिजली प्लांट व शहर की डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था संभाल रही है।
बेमतलब साबित हुईं आरएफआईडी चिप
नगर निगम ने हर घर में रेडियो फ्रिै क्वेंसी आईडेंटीफिकेशन चिप लगवाने का दावा किया था जो लगी भी थीं मगर इनका एक दिन भी उपयोग नहीं हो पाया। इसमें नगर निगम ने करीब 10करोड़ रुपए खर्च किए ,इनका उद्देश्य हर घर से कचरा उठने का संकेत मुख्यालय को मिलने और क चरा कलेक्शन करने वाले वाहन की लोकेशन लेना था।
चौतरफा नजर आ रही गंदगी
कचरा कलेक्शन सही तरीके से न होने पर कचरों के ढेर जगह-जगह आबाद हो गए हैं जो पशुओं के द्वारा फैलाए जाने से सड़ांध मार रहे हैं। फू टाताल मैदान,श्रीनाथ की तलैया, तिलकभूमि की तलैया,पड़ाव सब्जी मंडी से लेकर गली-कूचों तक में कचरा दिख रहा है।
ऐसे होता है खेल
किसी वार्ड में 10 वाहन कचरा कलेक्शन के लिए लगे हैं तो इन्हें 5 कर दिया जाता है। जो नए कचरा कलेक्शन करने वाले होते हैं उन्हें जहां लगाया जाता है वे हर घर के सामने न रुककर औपचारिकता जताते हुए निकल जाते हैं। कई जगह पहुंचते ही नहीं। केवल वीआईपी इलाकों में कोताही बरतने से बचा जाता है क्योंकि यहां उच्च वर्गीय या अफसर रहते हैं जहां उनकी कोताही पकड़ी जा सकती है। घनी आबादी और पिछड़े इलाकों में कचरा कलेक्शन ठप कर दिया जाता है।
फैक्ट फाइल
180 वाहन हैं एस्सेल कंपनी के टिपर
125 टिपर वाहन ननि ने दिए हैं कंपनी को
20 हाईवा कंपनी के हैं
550 कर्मचारी कार्यरत हैं कंपनी में
40 करोड़ रुपए सालाना ननि से लेती है कंपनी भुगतान
79 वार्ड में हर घर का है ठेका
2.10 लाख घरों से कचरा कलेक्शन का दावा