ड्रग इंस्पेक्टर को जिले से बाहर कराने अड़े दवा व्यापारी बंद रखा कारोबार

ड्रग इंस्पेक्टर को जिले से बाहर कराने अड़े दवा व्यापारी बंद रखा कारोबार

जबलपुर । ड्रग इंस्पेक्टर राम लखन पटेल और दवा विक्रेताआें के बीच विवाद थम नहीं रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर पटैल के निलंबन की कार्रवाई से दवा कारोबारी संतुष्ट नहीं है। वे उसे जिले से बाहर कराना चाहते हैं। शनिवार को दवा कारोबारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर पुरजोर विरोध जताया। प्रशासन दवा कारोबारियों को मनाने में जुटा है लेकिन अब तक बात नहीं बन पाई है। उल्लेखनीय है कि ड्रग इंस्पेक्टर राम लखन पटेल पहले सिहोरा तथा मझौली क्षेत्र की दवा दुकानों में जाँच के लिए गए लेकिन वहां लेन-देन को लेकर विवाद हो गया। बाद में विवाद ने तूल पकड़ा और ड्रग इंस्पेक्टर को माफी मांगने मजबूर होना पड़ा। इसके बाद सीएमएचओ डॉ. मनीष मिश्रा के निर्देशन में ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित दवा मार्केट में धावा बोला और सर्जिकल मास्क व सैनिटाइजर की खरीदी और बिक्री का रिकॉर्ड तलब किया, जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया। दवा व्यापारियों का आरोप है कि ड्रग इंस्पेक्टर जाँच के नाम पर सिर्फ दवा कारोबारियों से रूपयों की माँग कर रहा है। मेडिकल के सामने हुए विवाद के बाद दवा कारोबारी आक्रोशित होकर हड़ताल पर चले गए।

इतिहास बन गया विवाद

संभवत: शहर के इतिहास में राम लखन पटेल इकलौते ऐसे ड्रग इंस्पेक्टर हैं, जो दवा व्यवसायियों के निशाने पर हैं। जाँच पड़ताल और कार्यशैली एक अलग विषय है लेकिन यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि दवा का कारोबार बिना ड्रग विभाग की मिलीभगत से नहीं चल पाता है। शहर में लगभग 250 थोक, 7 सौ फुटकर दवा की दुकान है और ड्रग इंस्पेक्टर का इन दुकानों से गहरा याराना चला आया है। राम लखन पटेल दवा व्यापारियों की आंखों की किरकिरी आखिर क्यों बन गए? यह वास्तविकता सामने नहीं आ पा रही है।

मुनाफाखोरी तथा गुणवत्ता की जांच की जा रही थी : सीएमएचओ

सीएमएचओ डॉ. मनीष मिश्रा का इस संबंध में कहना है कि एमआरपी से अधिक दामों पर हो रही बिक्री तथा सैनेटाइजर व मास्क की गुणवत्ता की जाँच ड्रग इंस्पेक्टर द्वारा की जा रही थी। अगर ड्रग इंस्पेक्टर किसी तरह से गलत आचरण कर रहे थे तो दवा व्यापारियों को मुझे शिकायत करना थी। कोरोना जैसी संकट की घड़ी में हड़ताल का तरीका उचित नहीं है। दवा दुकानें बंद रहने के कारण लोगों को परेशान होना पड़ा। आपातकालीन करीब दो दर्जन दुकानों से ही लोगों को दवाईयां मिल पाईं।