बरने नदी का पुल टूटने से 25 गांव के लोगों का आवागमन बारिश में हो जाता है बंद

बरने नदी का पुल टूटने से 25 गांव के लोगों का आवागमन बारिश में हो जाता है बंद

जबलपुर । जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर गोसलपुर के पास स्थित रमखिरिया और कटरा गांव के बीच बरने नदी में बना रपटा साल भर बीतने के बाद भी नहीं बना। इससे बारिश शुरू होते ही नदी के दूसरी तरफ बसे 25 गांवों का गोसलपुर से संपर्क खत्म हो जाएगा। ये सभी गांव करीब एक हजार से 15 सौ की आबादी वाले है। यहां के लोग कृषि क्षेत्र से लेकर नौकरी पेशा सहित अन्य कार्य करते है साथ ही पुल टूटने से छात्रों को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2019 के अगस्त माह में हुई जोरदार बारिश के दौरान बरने नदी पर बना करीब 27 साल पुराना पुल बह गया था। पुल के बहने से दूसरी तरफ बसे करीब 25 गांव के ग्रामीणों का आवागमन करीब एक माह तक बंद पड़ा था। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से एक 1 करोड़ 62 लाख की राके लोगशि का एस्टीमेट तैयार करके लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा गया है।

इन गांवों  बारिश में होंगे

परेशान क्षतिग्रस्त पुल के निर्माण न होंने से पुल के दूसरी तरफ बसे कटरा, रमखिरिया, सिमरिया, मान गांव, पंचकुंडी, घुटना, पौड़ी सहित दो दर्जन से अधिक गांवों के लोगों का आवागमन तेज बारिश होंने से ठप्प हो जाएगा। पुल न बनने से लोगों को बेवजह 10 किलोमीटर की अधिक दूरी तय करना पड़ेगा। ग्रामीणों ने बताया कि पुल को बहे साल भर बीत गए, लेकिन अभी तक पुल निर्माण की कोई कार्रवाई नहीं हुई।

एस्टीमेट तैयार करने दिए गए थे निर्देश

सिहोरा विधायक नंदनी मरावी ने पुल के जल्द निर्माण को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। कलेक्टर ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को एस्टीमेट तैयार करने के निर्देश दिए थे। विभागीय अधिकारियों की हीलाहवाली का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

ग्रामीणों में आक्रोश

पुल का निर्माण नहीं होने से क्षेत्र के लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इससे क्षेत्र के लोगों में आक्रोश पनप रहा है। लोगों का कहना है कि बारिश के कई गांव के लोगों व स्कूली छात्र छात्राओं को आने वाली बारिश में विकट परेशानी से गुजरना पड़ेगा। लोगों का कहना है कि पुल के इस पार और उस पर स्थित ग्राम पंचायत रमखिरिया एवं ग्राम पंचायत कटरा के सरपंच सचिव द्वारा भी इस पुल से लोगों को निकलने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कराई गई। दोनों ग्राम पंचायतें सिर्फ नियमों का हवाला देकर पल्ला झाड़ते नजर आते रहे।