डेयरियों से गोबर व गंदगी सीधे फेंकी जा रही गौर नदीमें नहीं लगाए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

डेयरियों से गोबर व गंदगी सीधे फेंकी जा रही गौर नदीमें नहीं लगाए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

जबलपुर । नर्मदा की एक महत्वपूर्ण उप नदी गौर का हाल इन दिनों बेहद बदहाल है। जहां एक ओर नदियां व सरोवर लॉक डाउन में इंसानी दखल कम होने से स्वच्छ हुए हैं तो गौर नदी के किनारे स्थित करीब सैकड़ा भर डेयरियां गौर में प्रदूषण फैला रही हैं। यहां तक कि ये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों की भी अनदेखी करती हैं। बीते सालों में हर डेयरी संचालक को उनके पशुओं कीक्षमता के आधार पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश हुए थे मगर एक भी डेयरी संचालक ने इसका पालन नहीं किया है। दरअसल डेयरी संचालकों को केवल अपने मुनाफे से मतलब होता है। उन्हेंं नदी में डाले जाने वाले प्रदूषण पर कार्रवाई से इसलिए डर नहीं लगता क्योंकि अब तक प्रशासन ने कोई सख्त दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है। छोटे-मोटे पहुंचनेवाले कारिन्दों को ऊपरी जेबखर्च देकर मामला टाल दिया जाता है। इस मामले में जब तक प्रशासन उच्च स्तर पर प्लानिंग नहीं करता तब तक राहत मिलने की दूर-दूर तक संभावना नहीं लग रही है।

गौर ने तोड़ा दम

कभी गौर नदी बेहद स्वच्छ हुआ करती थी। धीरे-धीरे यहां डेयरियां स्थापित होने लगीं और अब तो सैकड़ा भर से अधिक हो गई हैं। इन सभी का गोबर व गंदगी सीधे गौर में बहाई जा रही है जिससे इस नदी को नदी न कहकर बड़ा नाला मानना सही होगा। कभी जिस नदी का पानी पीने तक में उपयोग स्थानीय जन किया करते थे अब इसमें हाथ डालने में भी संक्रमण होने लगे हैं।

फिर जागा प्रशासन

लंबे समय बाद एक बार फिर इस दिशा में प्रशासन पिछले दो-तीन दिन से जागा है। संभागायुक्त व ननि प्रशासक महेश चंद्र चौधरी के निर्देश के बाद निगमायुक्त आशीष कुमार ने डेयरी संचालकों के लिए हिदायत भी जारी की है और प्रदूषण फैलाने पर 5 हजार रुपए का जुर्माना लगाने कहा है। इसके साथ उन्होंने जमतरा में नर्मदा में गौर के मिलने के पूर्व बोरी बंधान का काम भी चालू करवाया है जिससे प्रदूषित चीजें छनकर नर्मदा में जाएं। हालाकि यह प्रयास नाकाफी हैं और जब तक डेयरियों में प्रदूषण खत्म करने वाले प्लांट नहीं लगाए जाएंगे तब तक स्थाई राहत नहीं मिलेगी।

बीते 10 सालों में बिगड़ी स्थिति

गौर नदी का यह हाल अचानक नहीं हुआ है। बीते दशक में इस नदी को धीरे- धीरे कत्ल किया गया है। ऐसा नहीं है कि प्रशासन ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित नगर निगम ने इस दिशा में बीते 4 साल पूर्व प्रयास भी किए थे। न सिर्फ यहीं अपितु परियट क्षेत्र में भी संचालित डेयरियों के लिए नियम निकाला गया था कि वे अपना प्रदूषण सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर शोधित करने के बाद ही पानी नदी में छोड़ें। गिने-चुने परियट के डेयरी संचालकों ने तो इसके लिए प्लांट लगवाए मगर ज्यादातर ने इस नियम को सिरे से नकारते हुए अपना प्रदूषण फैलाने का सिलसिला जारी रखा हुआ है।