75 करोड़ के अलावा हर रोज लगा रहे 2 लाख रुपए के सफाई लेबर

जबलपुर । नगर निगम का सालाना सफाई का बजट 75 करोड़ रुपए है। इस भारी- भरकम राशि में शहर की संपूर्ण सफाई व्यवस्था शामिल है। इसके बावजूद इन दिनों कागजों में जोर पकड़ी नाला सफाई के लिए अलग से 600 अस्थाई सफाई श्रमिक लगाए गए हैं जो कि 4 मई से लगे हैं जो 15 जून तक के लिए लगाए गए हैं,अब समय सीमा निकट आने के बाद अफसर इनकी स्वीकृति बढ़वाने के लिए लग गए हैं। नगर निगम ने शहर के 1150 नाले-नालियों के लिए 600 की संख्या में अस्थाई सफाई श्रमिक लगाए हैं जिन्हें नगर निगम प्रतिदिन 313 रुपए के हिसाब से भुगतान कर रहा है। यह राशि प्रतिदिन के हिसाब से करीब 1 लाख 87 हजार रुपए होती है। सवाल यह उठ रहा है कि करीब साढ़े 3 हजार के भारी-भरकम स्थाई व ठेका श्रमिकों के पहले से होते यह अतिरिक्त भुगतान क्यों करवाया जा रहा है। अफसर इसे जरूरी मान रहे हैं। उनका कहना है कि बाकी स्टाफ शहर की साफसफाई या अन्य निश्चित कामों में रत है लिहाजा केवल बारिश पूर्व यह व्यवस्था पहले से लागू होती आई है।
मामूली बारिश ने बताई हकीकत
मुस्लिम क्षेत्रों से गुजरने वाले नालों के बुरे हाल हैं। मोतीनाला,राहत नाला, अधारताल नाला,ओमती नाला जगह-जगह गंदगी से भरा नजर आ रहा है। गत दिवस बामुश्किल 10 मिनट हुई बारिश से शहर में मुख्य स्थलों पर ही पानी भर गया और नालियां उतराने लगीं। सड़कों पर पानी भरने का सीधा कारण नालियों की सफाई न होना है।
ये हैं शहर के 5 बड़े नाले
शहर में जो 5 बड़े नाले हैं जिन्हें करीब 400 करोड़ रुपए खर्च कर वर्ष 2010 से 2014 के बीच कवर्ड करवाया गया है में ओमती नाला,मोती नाला,उर्दना नाला,खंदारी नाला और शाहनाला शामिल है। इन से जुड़ने वाले 125 उप नाले हैं जिन्हें भी कवर्ड करवाया जा चुका है। इसके अलावा 1 हजार से ऊपर छोटे नाले हैं। इन्हें भी कवर्ड करवाया जा चुका है।
ये आ रही मुख्य समस्या
नगर निगम ने नाला सफाई के लिए भरपूर संसाधन उतार रखे हैं और भारी लाव-लश्कर लगाने का दावा भी किया जा रहा है। मुख्य समस्या नालों का कवर्ड होना व लोगों के द्वारा रैम्प बना लेना है। जिनके कारण नीचे से अपशिष्ट निकालने में मशीनें कारगर नहीं हो पातीं और मैदानी अमला भी ठीक से फंसा हुआ अपशिष्ट नहीं निकाल पाता।
बारिश निकालती है गंदगी
हर साल यही होता आया है कि तेज बारिश के बहाव में नालों की गंदगी अपने आप आगे की ओर बह जाती है और नगर निगम अपनी पीठ थपथपा लेता है। इस आड़ में करोड़ों के बिल लगा दिए जाते हैं।
कहां कहां हो चुकी सफाई, कोई नहीं बता पा रहा
नगर निगम का दावा है कि उसने विगत 4 मई से अब तक करीब 70 फीसदी नालों की पूरी तरह से सफाई कर दी है। यह काम एक तरफ से नहीं होता बल्कि जहां अधिक समस्या होती है वहां से पहले नाला साफ करवाया जाता है। इससे ये क्लीयर नहीं होता कि अमुक नाला अपनी पूरी लंबाई चौड़ाई में कितना साफ हो गया है। वैसे भी यदि केवल 30 फीसदी नाले साफ होने से बचे हुए हैं तो कहीं भी गंदगी न जर नहीं आनी चाहिए मगर हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है।
फैक्ट फाइल
5 बड़े नाले हैं शहर में
125 उप नाले हैं
1020 छोटे नाले हैं
1130 कुल नाले हैं
2 लाख रुपए प्रतिदिन संसाधनों का खर्च
1.87 लाख अस्थाई लेबर का खर्च
45 दिनों की ली थी स्वीकृति
शहर में करीब 70 फीसदी नाला सफाई का काम पूरा हो गया है। इसके लिए 4 मई से 600 अस्थाई श्रमिकों को 15 जून तक लगाया गया है,अभी बारिश नहीं हुई है इसलिए इस सीमा को और बढ़ाने का अनुरोध वरिष्ठ अधिकारियों से किया गया है। भूपेन्द्र सिंह,स्वास्थ्य अधिकारी,ननि