आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव वाणिज्य कर को अवमानना नोटिस

आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव वाणिज्य कर को अवमानना नोटिस

जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने पूर्व में जारी आदेश के बावजूद भी प्रदेश सरकार द्वारा ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के मामले को सख्ती से लिया। चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आबकारी आयुक्त तथा वाणिज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाये। युगलपीठ ने मामले की सुनवाई बुधवार को निर्धारित की है। यह मामला मां वैष्णो इंटरप्राईजेस व 29 अन्य शराब ठेकेदारों की ओर से दायर किया गया है। जिसमें में कहा गया है कि बीते फरवरी माह में शराब दुकानों की टेण्डर प्रङ्मिीया जारी हुई थी। प्रदेश सरकार द्वारा जब वर्ष 2020-2021 के लिए टेंडर आमंत्रित कर शराब ठेके दिए गए थे, तब परिस्थितियां अलग थीं। याचिकाकर्ता ने टेंडर के माध्यम से ठेके लिए थे, टेंडर के अनुसार ठेके की अवधि 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक थी। इसके अलावा वे दुकानों का संचालन 14 घंटे तक कर सकते थे।

कई हजार करोड़ में लिया ठेका

हाईकोर्ट को बताया गया कि टेंडर आवंटित होने के दौरान उन्होंने निर्धारित राशि जमा भी कर दी थी। मामले में शराब ठेकेदारों की ओर से कहा गया कि नया टेंडर प्रारंभ होने के पहले ही कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लागू कर दिया गया। इसके बाद लॉकडाउन की अवधि में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा अब कुछ जिलों तथा क्षेत्रों में शराब दुकान संचालन की अनुमति प्रदान की गई है पर इन क्षेत्रों में महज कुछ घंटों ही दुकान संचालन की अनुमति दी गई है। याचिका में कहा गया है कि उनके द्वारा कई हजार करोड़ रुपये में ठेका लिया गया है।

यह भी बताया गया ठेकेदारों की ओर से

याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान शराब ठेकेदारों की ओर से बताया गया कि मंदसौर के एक शराब ठेकेदार की बैंक गारंटी जब्त करने के अलावा कुछ शराब ठेकेदारों को नोटिस भी जारी किए हैं। जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता ठेकेदारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, अधिवक्ता राहुल दिवाकर ने पक्ष रखा।

ठेका संचालित करने में सक्षम नहीं

याचिकाकर्ता शराब ठेकेदारों ने हाईकोर्ट से प्रार्थना की है कि सरकार या तो उनसे ली गई राशि को लौटाकर फिर से टेण्डर कराए या फिर उनसे ली गई बिड की राशि सरकार द्वारा घटाई जाए। मामले की पिछली सुनवाई के दौरान शराब ठेकेदारों की ओर से कहा गया था कि निर्धारित नियम व प्रावधानों का पालन नहीं होने के कारण वह ठेका संचालित करने में सक्षम नहीं है। जिसके बाद युगल पीठ ने सरकार को आदेशित किया था कि वह शराब ठेकेदारों के खिलाफ कोई सख्त कार्यवाही ना करें और फाइनल एक्शन रिपोर्ट पेश करें।