दिव्यांग कोटे में भर्ती से मांगी छूट, स्टेट कमेटी ने कहा- नेत्रहीन आईएएस बन सकता है, इंजीनियर क्यों नहीं ?

दिव्यांग कोटे में भर्ती से मांगी छूट, स्टेट कमेटी ने कहा- नेत्रहीन आईएएस बन सकता है, इंजीनियर क्यों नहीं ?

भोपाल। सिंचाई विभाग में 600 इंजीनियरों की भर्ती में दिव्यांगों के कोटे में भर्ती नहीं किए जाने के लिए कोटे से छूट देने की मांग को राज्य स्तरीय समिति ने रिजेक्ट कर दिया है। समिति ने कहा है कि जब एक नेत्रहीन आईएएस बन सकता है, तो सिंचाई विभाग में नेत्रहीन इंजीनियर क्यों नहीं। दिव्यांगों को कमतर आंकना ठीक नहीं है, बल्कि उन्हें योग्यता के अनुसार बराबरी से मौका दिया जाना जरूरी है। दरअसल, सिंचाई विभाग में इंजीनियरों की भर्ती होना है। इसके लिए सीधी भर्ती के 50 प्रतिशत यानी कुल 1195 मे से 600 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत हर 3 माह में विज्ञापन निकाले जाकर सब इंजीनियर और असिस्टेंट इंजीनियर के पदों पर चयन किया जा रहा है। लेकिन दिव्यांगों का 6 प्रतिशत कोटा यानी 36 सीटों पर दिव्यांगों की भर्ती करने के बजाए सिंचाई विभाग ने छूट मांगी थी।

सिंचाई विभाग का तर्क, समिति का जवाब

99%फील्ड कार्य, नेत्रहीन इंजीनियर कैसे काम करेंगे

सिंचाई विभाग ने करीब 2 माह पहले सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय समिति के सामने प्रस्ताव दिया था कि नेत्रहीन कोटे में भर्ती से छूट दी जाए, क्योंकि सिंचाई विभाग का 99 प्रतिशत कार्य फील्ड वर्क होता है। ऐसे में नेत्रहीन व्यक्ति उपयुक्त साबित नहीं होगा। इसलिए विकलांग कोटे में भर्ती से छूट दी जाए, ताकि सामान्य श्रेणी में भर्ती हो सके।

ऑफिसियल काम भी होते हैं, इनमें ली जा सकती हैं सेवाएं

जीएडी के एसीएस विनोद कुमार सिंह और सामाजिक न्याय नि:शक्तजन आयुक्त रेणु तिवारी सहित 7 सदस्यों वाली राज्य स्तरीय समिति ने प्रस्ताव को बीते गुरुवार को इस आधार पर रिजेक्ट कर दिया कि जब एक नेत्रहीन आईएएस बन सकता है और बेहतर प्रशासन संभाल सकता है, तब इंजीनियरिंग डिग्री लेने वाला नेत्रहीन क्यों नहीं। बहुत से काम आॅफिशियल होते हैं, जिनमें ऐसे इंजीनियरों की सेवाएं ली जा सकती हैं।