किसान की एप्रोच सीधे बाजार तक

किसान की एप्रोच सीधे बाजार तक

 नई दिल्ली ।  वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रु. के राहत पैकेज का तीसरा ब्रेकअप बताया। उन्होंने 11 घोषणाएं कीं। इनमें से 8 घोषणाएं किसानों और खेती से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स के बारे में थीं। बाकी तीन घोषणाएं प्रशासनिक सुधारों के बारे में थीं। सबसे बड़ा ऐलान खेती से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए हुआ, जिसमें 1 लाख करोड़ रु. का फंड मिलेगा। एग्री कमोडिटी को सीधे देशविदेश के बाजारों में भी बेचने की किसानों मांग को आज सरकार ने मान लिया। इसके लिए सरकार ने एसेंशियल कमोडिटी एक्ट 1955 में बदलाव करने की घोषणा की है। इससे हर तरह के अनाज, दलहन, तिलहन से जुड़ी फसलें उगाने वाले किसानों को उत्पाद की बेहतर कीमत मिल सकेगी। अब तक ये एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में थे तो खरीद-बिक्री में निजी कंपनियां रुचि नहीं लेती थीं। फसल एमएसपी पर बिकती थी। वहीं कश्मीर में केशर,यूपी में आम, पूर्वोत्तर में बांस, आंध्र में मिर्ची, बिहार में मखाने की खेती को बढ़ाने के लिए मदद मिलेगी।

देश-विदेश में किसान बेच सकेगा उपज

एग्रो इन्फ्रा के लिए 1 लाख करोड़

फसल कटाई, कोल्ड चेन, स्टोरेज सेंटर जैसी सुविधाएं मजबूत करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए की फाइनेंसिंग की जाएगी। एग्रीकल्चरल इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रायमरी एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसायटी और खेती से जुड़े स्टार्ट-अप्स को यह मदद दी जाएगी।

माइक्रो फूड इंटरप्राइज के लिए10 हजार करोड़ रुपए की मदद

माइक्रो फूड इंटरप्राइज को 10 हजार करोड़ रु. की मदद दी जाएगी, ताकि वे ब्रांडिंग, मार्केटिंग कर सकें, 2 लाख यूनिट्स को फायदा मिलेगा। मदद कृषि उपज संस्थाओं, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और सहकारी संस्थाओं से होगी।

मछली पालन को 20 हजार करोड़

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के जरिए 20 हजार करोड़ रुपए की मदद मिलेगी। 11 हजार करोड़ रुपए मछली पालन और 9 हजार करोड़ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मिलेंगे।55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।

पशुओं के टीकाकरण के लिए 13 हजार 343 करोड़ रुपए

गाय, भैंस, भेड़, बकरी को टीका लगाने पर 13 हजार 343 करोड़ रु. खर्च होंगे। 53 करोड़ पशुओं को मुंह और खुर की बीमारियां न हों, इसके लिए टीके लगाए जाएंगे।

पशुपालन को15 हजार करोड़

पशुपालन सेंटरों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर 15 हजार करोड़ खर्च होंगे। दूध के लिए प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगेंगी। डेयरी सेक्टर में निजी इन्वेस्टमेंट होगा। लोकल मार्केट, एक्सपोर्ट के लिए भी पैसा इस्तेमाल होगा।

औषधीय पौधों के लिए 4 हजार करोड़ रुपए  खर्च होंगे

हर्बल प्रोड्यूस के लिए 4 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। मेडिसिनल प्लांट की खेती करने वाले किसानों को फायदा मिलेगा। 25 लाख एकड़ में खेती हो पाएगी। गंगा किनारे औषधीय पौधों का कॉरिडोर बनेगा।

मधुमक्खी पालन को 500 करोड़

मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ खर्च होंगे। किसानों को अतिरिक्त आमदनी का जरिया होगा। मधुमक्खी पालने वाले 2 लाख लोगों को इसका फायदा मिलेगा। शहद कलेक्शन,मार्केटिंग में मदद मिलेगी।

टमाटर, आलू, प्याज योजना में अब बाकी सब्जियां और फल भी

टमाटर, आलू और प्याज के साथ ऑपरेशन ग्रीन योजना फल और सब्जियों पर भी लागू होगी। 500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 50% सब्सिडी ट्रांसपोर्टेशन और 50% सब्सिडी स्टोरेज और कोल्ड स्टोरेज पर मिलेगी।

1955 का कानून बदलेगा

आवश्यक वस्तु अधिनियम (1955) में बदलाव होगा। तिलहन, दलहन, आलू, प्याज उगाने वाले किसानों को फायदा मिलेगा। किसान, प्रोसेसर, वैल्यू चेन में शामिल लोगों के लिए भी स्टॉक लिमिट नहीं होगी।

एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म, दूसरे राज्यों में बेच सकेंगे उपज

कानून बनेगा, ताकि जो लाइसेंस रखने वाली एग्रीकल्चर प्रोड्यूसर मार्केट कमेटी में ही बेच पाने वाले किसानों को फायदा मिले। किसान ई-ट्रेडिंग भी कर सकेंगे।

 कसानों के लिए बड़ी राहत

वित्त मंत्री द्वारा की गई राहत घोषणाओं से किसान, पशुपालकों, मछली पालकों आदि की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा। पीएम किसान फंड के अंतर्गत किसानों के लिए कुल 18 हजार 700 करोड़ रुपए की घोषणा किसानों के लिए बड़ी राहत सिद्ध होगी। - शिवराजसिंह चौहान,मुख्यमंत्री

गाइडलाइन बनी परेशानी

डेयरी को बढ़ावा देने का सपना तो दिखाया, लेकिन सप्लाई और मार्केटिंग के बारे में साफ स्थिति नहीं है। छोटे और मध्यम पशुपालक, डेयरी संचालक इससे कन्फ्यूज  हैं । आशा राजेंद्र कोठारी,आशा डेयरी एंड प्रोडक्ट, कानासैया, भोपाल

स्टार्टअप मोटिवेट होंगे 

स्टार्टअप को बहुत राहत मिलेगी। वे मोटिवेट होंगे। आर्गेनिक फार्मिंग के स्टार्टअप जो इनोवेशन कर रहे हैं, उन्हें ही राहत मिलेगी। - डॉ. अशोक कुमार वर्मा, क्राμट इंश्योरेंस, (स्टार्टअप),भोपाल

कुछ भी नहीं मिला

घोषणा जरूर हुई है कि किसानों को कर्ज देंगे, लेकिन यह साफतौर पर किसानों की मदद करना नहीं, बल्कि कर्जदार बनाना है। पैकेज तो बड़ी कंपनियों के कर्ज पटाने के लिए दिया गया है। इसमें किसान को कुछ नहीं मिलने वाला। यह सरकार किसान विरोधी है, जोकि अभी 28 किसान विरोधी फैसले कर चुकी है। शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’, अध्यक्ष, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ