महिला कर्मचारी बोलीं, बिना पूछे मोबाइल नंबर दे दिए, छात्र रात में भी परेशान करते हैं
jiwaji university

ग्वालियर। जीवाजी विवि ने छात्रोें की समस्याओें के निदान के लिए दो वॉट्सएप नंबर जारी किए है ताकि छात्र समस्या से संबंधित आवेदन और दस्तावेज भेज सकें। यह वॉट्सएप नंबर पूछताछ केंद्र पर तैनात चतुर्थ श्रेणी और सर्विस प्रोवाइडर महिला कर्मचारियों के हैं। छात्रों के फोन और वॉट्सएप पर दस्तावेज आने शुरू होने के बाद महिला कर्मचारियों को पता चला कि विवि ने उनके मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर दिए गए हैं। यह स्थिति तब है जब विवि में पुरुष अधिकारी और कर्मचारियों की भरमार है मगर बावजूद इसके महिला कर्मचारियों के पर्सनल मोबाइल नंबर विवि की वेबसाइट के जरिए सार्वजनिक कर दिए गए हैं। छात्र समस्या का समाधान होने की जानकारी लेने के लिए सुबह से लेकर रात में भी फोन लगाते हैं, इससे महिला कर्मचारी परेशान हो गई हैं। अगर यह कहें कि अधिकारियों ने छात्रोें के सवाल-जवाब से बचने के लिए महिला कर्मचारियों को आगे कर दिया है तो गलत नहीं होगा।
घर पहुंचने के बाद भी छात्रों के फोन आते रहते हैं
वॉट्सएप पर दस्तावेज और छात्रों के फोन आने के बाद पता चला कि मेरा नंबर विवि की वेबसाइट पर जारी कर दिया गया है, जबकि इसके लिए मेरी अनुमति नहीं ली गई। अगर पूछा जाता तो मैं मना कर देती। विवि में ड्यूटी तक तो ठीक है मगर घर पर पहुंचने के बाद भी छात्रों के फोन आते रहते हैं। कई छात्र तो बदत्तमीजी से बात करते हैं।
मुझसे बिना पूछे नंबर सार्वजनिक कर दिया है अधिकारियों ने पूछे बिना ही मेरा मोबाइल नंबर विवि की वेबसाइट पर जारी कर दिया है ताकि छात्र वॉट्सएप पर आवेदन और दस्तावेज भेज सकें। छात्र सुबह से लेकर रात तक फोन करते हैं। मेरा यह पर्सनल नंबर है, इसे में बंद भी नहीं कर सकती है मगर अधिकारियों को मेरे बजाए पुरुष अधिकारी या सेक्शन आॅफिसर का नंबर देना चाहिए था।
सेक्शन आॅफिसरों के फोन नंबर देना चाहिए थे, काम तो इन्हें करना है
महिला कर्मचारियों को वॉट्सएप पर आए छात्रों के आवेदनों को ईमेल पर लेकर प्रिंट निकालने के बाद निराकरण के लिए परीक्षा और गोपनीय विभाग के सेक्शन आॅफिसरों के पास पहुंचाए जाते हैं। इसके बाद समस्या के निराकरण की प्रक्रिया शुरू होती है अगर वेबसाइट पर सेक्शन आॅफिसरों के नंबर दिए गए होते हैं तो वह समस्या से संबंधित आवेदन संबंधित सीट इंचार्ज के पास भेज देते और सीट इंचार्ज उस पर कार्रवाई शुरू कर देते मगर विवि के अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया।