सुसाइड से बचाने वाली हेल्पलाइन को हेल्प की जरूरत

सुसाइड से बचाने वाली हेल्पलाइन को हेल्प की जरूरत

भोपाल। अवसाद और नाकामी के कारण आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाने वालों को समझा-बुझाकर रोकने का काम करने वाली पुलिस की हेल्पलाइन को इस समय खुद ही हेल्प की जरूरत है। क्योंकि इसके लिए सेवाएं देने का काम सोशल सर्विस होने से मनोरोग विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक नहीं मिल पा रहे हैं। दरअसल, छात्रों को आत्महत्या या किसी भी तरह के घातक कदम उठाने से रोकने के लिए हेल्पलाइन बनाई गई है, जोकि परीक्षा परिणाम आने के दिनों में बेहद सक्रिय रहती है। इससे अब तक कई छात्र आत्महत्या करने से बचाए गए हैं। इसी तर्ज पर पुलिस विभाग द्वारा भी करीब 4 साल पहले हेल्पलाइन की शुरुआत की गई थी। इसके पीछे यही मंशा थी कि नाकामी या किसी अन्य कारण से अवसाद में जाने पर सही मार्गदर्शन कर आत्महत्या करने वालों को रोका जा सकेगा। ग्वालियर और इंदौर में मकसद में कारगर साबित हुआ प्रयोग: आत्महत्या या अपराध की ओर मोड़ने से रोकने अपराध अनुसंधान विभाग द्वारा ग्वालियर और इंदौर में हेल्पलाइन की शुरुआत प्रायोगिक तौर पर की गई थी। इसमें सेवाएं देने वाले मनोचिकित्सक और मनोरोग विशेषज्ञ निशुल्क थे। शुरुआत में हर वर्ग का इसमें सहयोग मिला और कई युवाओं और कारोबारियों को समय रहते समझाया जा कर खुदकुशी करने से रोका गया। बाद के दिनों में साइकोलॉजिस्ट ने फ्री में सर्विस देने से मुंह मोड़ लिया।

काउंसलर देते हैं फ्री सर्विस

महिला थानों में पति-पत्नी के झगड़े निपटाने से लेकर महिलाओं द्वारा आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने से रोकने काउंसलर्स नियुक्त थीं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा स्वाधार योजना के तहत 5000 रुपए मासिक मानदेय दिया जाता था। मानदेय 5 साल से बंद है। ऐसे में महिला थानों से लेकर दूसरे थानों के परिवार परामर्श केंद्र में काउंसलर फ्री सर्विस दे रहे हैं।