नॉन पीएचडी काउंसलर रखे, बाहरी शिक्षक तैयार कर रहे शिक्षण सामग्री

Hiring non-PhD counselors, external teachers are preparing teaching materials

नॉन पीएचडी काउंसलर रखे, बाहरी शिक्षक तैयार कर रहे शिक्षण सामग्री

ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षण संस्थान में यूजी-पीजी कोर्सों को मान्यता नहीं होने के कारण सिर्फ डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सों में गिने-चुने छात्र हैं, लेकिन छात्रों को स्टडी मटेरियल (शिक्षण सामग्री) देने के लिए एक करोड़ रुपए खर्च होंगे। संस्थान के कोर्स बंद होने के कारण इंकम न के बराबर है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षण सामग्री पर एक करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। शिक्षण सामग्री संस्थान के काउंसलरों से कराने के बजाए बाहरी शिक्षकों से तैयार कराई जाएंगी, इसके लिए उन्हें मानदेय भी देना पड़ेगा। इसके पीछे कारण यह है कि रखे गए कई काउंसलर नॉन पीएचडी हैं और जिनमें से कुछ तो जेयू के प्रोफेसर के रिश्तेदार भी हैं। यही वजह है काउंसलर रखने में नियमों को ताक पर रखा गया। जानकारी के अनुसार संस्थान के लिए 10 काउंसलर रखने का विज्ञापन निकाला गया है मगर 11 काउंसलर रखे गए। काउंसलरों को प्रति पीरियड 500 रुपए मानेदय मिलना था मगर इन्हें 20 हजार वेतन दिया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब संस्थान की इंकम न के बराबर है।

 साइंस, कॉमर्स, पत्रकारिता जैसे कोर्सों में काउंसलर नहीं रखे गए
सोशोलॉजी, पॉलीटिकल साइंस, ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय में एक से अधिक काउंसलर रखे गए हैं, लेकिन कॉमर्स, साइंस, पत्रकारिता विषय में एक भी काउंसलर नहीं रखा गया है। अगर कोर्सों की मान्यता वापस लेना है तो सभी कोर्सों में काउंसलर होना चाहिए।
संस्थान के कोर्सों की मान्यता छात्रों को पढ़ाई के लिए स्टडी मटेरियल नहीं देने और शिक्षक नहीं होने के कारण गई थी। स्टडी मटेरियल के लिए विवि प्रबंधन ने एक करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं, इसलिए यूजीसी से कोर्सों की मान्यता मिल जाएगी। जहां तक काउंसलरों की बात है तो इनका टाइम पीरियड जून तक है, नए काउंसलर रखे जाएंगे।