मई-जून का अब तक नहीं मिला मानदेय अतिथि शिक्षक मजदूरी करने को मजबूर

जबलपुर । प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पिछले 12 वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहे अतिथि विद्वानों के साथ लगातार सरकार भेदभावपूर्ण रवैया अपनाए हुए है। जिसके कारण अतिथि शिक्षकों में आक्रोश है। अतिथि शिक्षकों ने कई वर्षो से उचित मानदेय,नियमित करने और मई-जून का मानदेय देने की मांग कर रहे हैं। परंतु शासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही हैं। प्रदेश में करीब 70 हजार अतिथि विद्वान शासकीय स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब उन्हें सिर्फ संविदा भर्ती में 25 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही जा रही है। वो भी मैरिट लिस्ट के आधार पर जिन्होंने परीक्षा दी हो।
वादा नहीं निभा पाई पिछली सरकार
गौरतलब है कि उचित मानदेय न देने और नियमित न करने के कारण उच्च शिक्षित, प्रशिक्षित होंने के बाद भी अतिथि शिक्षक मजदूरी करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अपने घोषणा पत्र में अतिथि शिक्षकों को नियमित करने का वादा किया था। लेकिन एक साल से ज्यादा सरकार चलाने के बाद भी उन्हे नियमित नहीं किया गया और अब सत्ता परिवर्तन होंने के बाद भाजपा की सरकार सत्ता पर काबिज है। इसके बावजूद भी उन्हें कांग्रेस के कई विधायकों का समर्थन प्राप्त है फिर भी भाजपा सरकार से नियमित करने सहित अन्य कोई लाभ नहीं मिलता दिख रहा हैं। लॉकडाउन के पहले अतिथि शिक्षकों ने भोपाल में धरना प्रदर्शन भी किया था। फिर भी शासन इनकी एक नहीं सुन रही है।
अप्रैल माह में सेवाएं कर दी जाती हैं समाप्त
प्रतिवर्ष अतिथि शिक्षकों को जुलाईअ गस्त में पदभार ग्रहण कराया जाता है तथा अप्रैल माह में इनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाती है तो जो कि अनुचित है। प्रदेश सरकार को इनकी समस्याओं का हल निकालना चाहिए और लॉकडाउन समय का मानदेय भी दिया जाना चाहिए। परंतु शासन ऐसा नहीं कर रही हैं। जिससे जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, धार, भोपाल सहित प्रदेशभर के अतिथि विद्वान परेशान हैं ।