मंत्री नहीं बनने वाले माननीय बनेंगे सहकारी बैंकों में प्रशासक

भोपाल। जो विधायक मंत्री नहीं बन पाएंगे उनके लिए खुश खबर है। उनको जिला सहकारी बैंकों में प्रशासक बनाया जाएगा। इसके लिए जिला बैंकों के प्रशासक के पद पर जनप्रतिनिधियों की नियुक्ति किए जाने संबंधी संशोधन विधेयक सरकार मानसून सत्र में लाने जा रही है। अभी तक जिला बैंकों, अपेक्स बैंक, मार्कफेड आदि में किसी भी विधायक, सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष आदि की नियुक्ति सहकारिता अधिनियम के प्रावधानों के कारण नहीं की जा सकती। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद बड़ी संख्या में संभावित नाराज विधायकों को लेकर भाजपा सतर्क है। ऐसे नेताओं को अर्जेस्ट करने के लिए सत्ता और संगठन नया रास्ता निकाल रही है। इसके लिए सहकारी बैंकों में प्रशासक नियुक्त करने का प्लान है। इसके लिए सहकारिता अधिनियम में आने वाली अड़चनें दूर की जाएंगी।
पहले अध्यादेश फिर विधेयक
सूत्रों का दावा है कि सहकारिता अधिनियम में संशोधन के लिए तैयार मसौदा वरिष्ठ सचिव स्तरीय समिति के पास भेजा गया था। यहां से स्वीकृति के बाद विधि विभाग को परीक्षण के लिए भेजा गया।
यह होगा संशोधन
सहकारिता अधिनियम 1960 की धारा 48 (ए) में संशोधन कर सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष या अन्य जनप्रतिनिधि को किसी भी सहकारी बैंक या अपेक्स बैंक का प्रशासक नियुक्त करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
दिग्विजय सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री
सहकारिता अधिनियम में संशोधन को लेकर क्या कहेंगे? - राज्य सरकार जो बदलाव करने जा रही है, वह सहकारिता की भावना के सर्वथा खिलाफ है। मेरे मुख्य मंत्रीत्वकाल में ही यह प्रावधान किया गया था कि राजनैतिक हस्तक्षेप से सहकारिता को मुक्त रखा जाए लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार अब अपेक्स बैंक और जिला बैंकों में मंत्री नहीं बनने वाले विधायकों को एडजस्ट करने के लिए संशोधन कर रही है। यह को आपरेटिव के भले के लिए नहीं बल्कि सिर्फ पॉलिटिकल मैनेजमेंट है।
इस संशोधन का क्या असर होगा? - यह सहकारिता के ढांचे को चरमरा देगा। यह संशोधन सहकारिता को मजबूती नहीं देगा बल्कि पॉलिटिकल मैनेजमेंट है, जिससे सहकारिता का ताना-बाना ही बिखर जाएगा।