होटल, रेस्टोरेंट बार बढ़े, लेकिन सरकार की कमाई नहीं

भोपाल । प्रदेश में होटल, रेस्टोरेंट, बार, रिसॉर्ट और मिलिट्री कैंटीन की संख्या में तो बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन आबकारी विभाग को इनके लाइसेंस फीस से उतनी ज्यादा राशि नहीं मिल पा रही है, जितना पैसा बार या रेस्टोरेंट संचालक उपभोक्ताओं से वसूलते हैं। खासकर होटल, रेस्टोरेंट बार में उपभोक्ताओं से पैग के हिसाब से पैसा वसूला जाता है। इसके साथ ही 12 प्रतिशत टैक्स सर्विस चार्ज के नाम पर भी ले लिया जाता है, लेकिन सरकार को इनके जरिए जो आय हो रही है, उसमें कोई खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है। वैसे होटल, रेस्टोरेंट बार, क्लब बार, कमर्शियल क्लब आदि की लाइसेंस फीस दो लाख से लेकर आठ लाख रुपए तक होने के कारण इसका सबसे ज्यादा फायदा संचालक उठा रहे हैं। उधर, वर्ष 2019-20 का डाटा अपडेट नहीं होने के कारण यह पता नहीं चल सका है
उदाहरण - 1
रेड लेबल की 650 एमएल की बोतल शराब दुकान पर 3 हजार रुपए में मिलती है, जबकि रेस्टोरेंट बार और होटल में इसका एक पैग 600 रुपए में मिलता है। एक बोतल में आठ पैग बनते हैं।
उदाहरण - 2
ब्लैक डॉग की 650 एमएल की बोतल शराब दुकान पर 2300 रुपए में मिलती है, परन्तु रेस्टोरेंट बार, होटल में इसका एक पैग 400 रुपए में मिलता है। एक पैग 40 एमएल का बनता है। नोट: होटल, रेस्टोरेंट बार आदि में 12 प्रतिशत सर्विस चार्ज और स्नेक्स का चार्ज अलग से लिया जाता है।
2019-20 का डाटा अभी तैयार नहीं हुआ है
वित्तीय वर्ष 2019-20 में होटल बार, रेस्टोंरेट और शराब से सरकार को कितनी आय हुई है, इसका अभी डाटा तैयार किया जा रहा है। डाटा तैयार होने के बाद ही कुछ बता सकूंगा। - संजय तिवारी, अपर कमिश्नर, आबकारी