कंप्यूटर रिपेयरिंग के नाम पर 3 साल में 40 लाख रुपए खर्च किराए पर हैं 105 कंप्यूटर

जबलपुर । नगर निगम में विभिन्न विभागों में 105 कंप्यूटर किराए पर बरसों स ेलगे हुए हैं जिनका किराया तो लगता ही है साथ ही रिपेयरिंग के नाम पर विगत 3 सालों में 40 लाख रुपए का खर्च हो चुका है। सामान्य नियमों के अ नुसार यदि कोई चीज किराए पर ली गई है तो इसका मेंटेनेंस या रिपेयरिंग मालिक की होती है मगर दरियादिल नगर निगम किराए के साथ रिपेयरिंग में भी मोटी रकम खर्च कर रहा है जबकि वह दावा इन दिनों फिजूलखर्ची रोकने का करता है। नगर निगम में लगे कंप्यूटरों के नाम पर कई सालों से गड़बड़ियां जारी हैं,जिनके बिलों पर अफसर आंख मूंद कर साइन भी कर देते हैं। यहां के अधिकारी कंप्यूटरों को भी कमीशनबाजी का हथियार बना चुके हैं। विगत 6 वर्षों से किराए के कंप्यूटर के नाम पर मोटी रकम पीटी जा रही है। हालाकि तब से अब तक ये कंप्यूटर अपनी मूल कीमत भी कब की निकाल चुके हैं। कंप्यूटर सुधार के नाम पर इसमें क्या-क्या काम हुए हैं यह देखने तक का जिम्मेदारों के पास समय नहीं है। रिपेयरिंग के नाम पर कौन-कौन से पार्ट बदले गए हैं और निकाले गए पार्ट कहां रखे हैं किसी को नहीं पता।
सुधार का ठेका निजी फर्म को
नगर निगम में जो भी कंप्यूटर,प्रिन्टर या इससे जुड़े अन्य उपकरण खराब होते हैं इसका ठेका एक निजी फर्म को दिया गया है। कंप्यूटर रिपेयर करने वाली फर्म के नाम पर पिछले 3 सालों में 40 लाख 54 हजार 772 रुपए का बिल बनाया गया है।हर 3 माह में रिपेयरिंग की राशि का भुगतान किया जाता है। रिपेयरिंग के नाम पर 2017 में 58 हजार 504 रुपए, 2018 में 27 लाख 41 हजार 618 रुपए,2019 में 12 लाख 54 हजार 650 रुपए का भुगतान किया गया है।
मामूली फाल्ट में बदल दिए जाते हैं कई पार्ट
सूत्र बताते हैं कि कई बार मामूली फाल्ट आने पर भी अधिकारी कई पार्ट कागजों में बदलवा देते हैं हकीकत में भले ही मामूली सुधार करवाया जाए। कई बार तो प ूरा सिस्टम ही बदलवा दिया जाता है जिससे बिल की राशि बढ़ जाए।
ऐसे में कैसे कम होगा खर्च
ननि की माली हालत इन दिनों बेहद बुरी चल रही है। टैक्स वसूली में जोरदार तैयारी के साथ खर्च कम करने के लिए भारी कवायद चल रही है,जिसके तहत सुरक्षा कर्मियों से लेकर,कंप्यूटर आॅपरेटर्स,ठेका कर्मियों की छंटाई हो रही है। ऐसे में यदि इस तरह का गोरखधंधा अधिकारियों की नाक तले चलता रहेगा तो कैसे फिजूल खर्ची पर रोक लग पाएगी ये जिम्मेदारों को समझना होगा।
क्यों होते हैं कंप्यूटर खराब
बताया जाता है कि किराए से लगाए जाने वाले कंप्यूटर अप नी अवधि पूर्ण कर चुके हैं इनका उपयोग भी खासा हुआ है लिहाजा ये बार-बार रिपेयरिंग के मोहताज होते हैं। कई बार बिनाजरूरत भी रिपेयरिंग के बिल बनाने के लिए इनका इस्तेमाल हो जाता है। ज्यादातर कंप्यूटर के बारे में बताया जाता है कि कभी भी इनमें फाल्ट आ जाता है। कभी केबिल खराब हो जाती है। हालाकि इन्हें रिपेयर करने के पहले ही बदल दिया जाता है। इतने फाल्ट क्यों आ रहे हैं इस बारे में जानने की जहमत भी अधिकारी नहीं उठाते।
फैक्ट फाइल
105 कंप्यूटर लगे हैं किराए पर
57 रुपए प्रति कंप्यूटर है किराया
58,504 रुपए दिए गए 2017 में रिपेयरिंग में
27,41,618 रुपए दिए गए 2018 में
12,54,650 रुपए दिए गए 2019 में