भारत-पाक तनाव: इस बार नहीं बंटेगा सीमा पर ‘शरबत’ और ‘शक्कर’

जम्मू। जम्मू सीमा पर रामगढ़ में गुरुवार 25 जून को होने वाला चमलियाल मेला फिलहाल रद्द कर दिया गया है। इसके पीछे के कारणों में कोरोना संकट के साथ-साथ पाक सेना द्वारा लगातार किए जाने वाला संघर्ष विराम उल्लंघन है। अधिकारियों ने इस बार इस ओर के लोगों को भी दरगाह पर एकत्र होने से मना कर दिया है, इसलिए इस बार दोनों मुल्कों के बीच बंटने वाली शक्कर व शरबत की परंपरा टूट जाएगी। इससे पहले भी कई बार पाक गोलाबारी के कारण कई बार यह परंपरा टूट चुकी है और इसमें इस बार कोरोना संकट भी एक कारण बन गया है। दरअसल इंटरनेशनल बार्डर पर जीरो लाइन पर चमलियाल मेला तभी संभव होता है, जब पाकिस्तान की ओर से विश्वास दिलाया जाता है कि किसी भी हालात में मेले के दौरान गोलीबारी या कोई अन्य शरारत नहीं की जाएगी। वर्ष 2018 में सीमा पर भारी गोलाबारी कर रहे पाकिस्तान ने मेले को लेकर सुचेतगढ़ में हुई सेक्टर कमांडर स्तर की लैग मीटिंग में अपने तेवर नरम करने की दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखाई थी। ऐसे हालात में लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने 2018 में भी मेले को रद्द कर दिया था। हालांकि इस बार पाक रेंजरों ने सिर्फ चादर चढ़ाने की अनुमति मांगी है पर प्रशासन और बीएसएफ ने कोरोना के खतरे के बीच ऐसा खतरा मोल नहीं लेने का फैसला किया है।
बाबा दिलीप सिंह ने शिष्य को चर्म रोग से दिलाई थी मुक्ति
जीरो लाइन पर स्थित चमलियाल सीमांत चौकी पर जो मजार है, वह बाबा दिलीप सिंह मन्हास की समाधि है। कहा जाता है कि उनके एक शिष्य को एक बार चम्बल नामक चर्म हो गया था। बाबा ने यहां एक विशेष कुएं से पानी तथा मिट्टी का लेप शरीर पर लगाने को दिया। इससे शिष्य को रोग से मुक्ति मिल गई। इसके बाद बाबा की प्रसिद्धि बढ़ी तो गांव के किसी व्यक्ति ने उनका गला काट कर हत्या कर दी। बाद में उनकी हत्या वाले स्थान पर उनकी समाधि बनाई गई। प्रचलित कथा कितनी पुरानी है, कोई जानकारी नहीं है।