जीरो वेस्ट के लिए इंदौर जैसे संसाधन व अमला नहीं जबलपुर नगर निगम के पास

जीरो वेस्ट के लिए इंदौर जैसे संसाधन व अमला नहीं जबलपुर नगर निगम के पास

जबलपुर । इंदौर ने जीरो वेस्ट पर काम शुरू कर दिया है। जहां तक जबलपुर की बात है तो यहां पर न तो इंदौर की तरह संसाधन हैं और न ही उतना अमला,वेस्ट को समाप्त करने के लिए डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था लागू है मगर इसे संचालित करने वाली कंपनी का पूरा सहयोग न मिलने की वजह से ही शहर में जगह-जगह कचरे के ढेर नजर आते हैं। ऐसे में शहर को जीरो वेस्ट बनाना नए निगमायुक्त के लिए बड़ी चुनौती है। शहर से अनुमानित 450 टन कचरा प्रतिदिन निकलता है। जिसमें से करीब 300 टन कचरा ही कठौंदा डंपिंग प्लांट तक पहुंचता है। इसकी शहर से प्लांट तक की परिवहन व्यवस्था भी एस्सेल कंपनी के पास है जो कचरे से बिजली बनाने के प्लांट का भी संचालन करती है। पूरा कचरा क्यों एकत्र कर प्लांट तक नहीं पहुंच पाता ये यक्ष प्रश्न आज भी खड़ा है। हर घर से कचरा लेने के काम के कंपनी को 3 साल पूरे हो चुके हैं और इस प्लांट के बिकने की भी खबर है। अभी तक नए स्वामित्व ने कंपनी को टेकओवर नहीं किया है जिसके चलते एस्सेल कंपनी ही प्लांट व डोर टू डोर व्यवस्था का संचालन करती आ रही है।

क्या है जीरो वेस्ट

शहर में कहीं भी कचरा नजर न आए। इस व्यवस्था को ही जीरो वेस्ट कहा जाता है। ऐसा नहीं है कि नगर निगम ने इस दिशा में काम नहीं किया है। डोर टू डोर व्यवस्था प्रारंभ करने के पहले ही उसने शहर के 750 कचरा डंपिंग स्थलों को टोटल बंद कर दिया था। उस दौर में डोर टू डोर व्यवस्था की टेस्टिंग चल रही थी। बाद में जब घरों से कचरा उठाया जाने लगा तो काफी हद तक कचरे के ढेरों पर कचरा नजर आना बंद भी हुआ था।

ऐसे फेल हुई व्यवस्था

हर घर से कचरा लेने के लिए कंपनी के वाहन नहीं पहुंचे तो लोगों ने फिर नई जगह तलाश कर कचरा फेंकना शुरू कर दिया। यहां तक कि जिन जगहों पर नगर निगम ने पेवर ब्लॉक लगाए हैं वहां भी कचरा फेंका जाने लगा। इस कचरे को वाहन एकत्र कर अन्यत्र ले जाते। कभी कंपनी के टिपर चालकों-परिचालकों की हड़ताल तो कभी अन्य कारण और कंपनी द्वारा निर्धारित मात्रा में वाहन न लगाया जाना इसका बड़ा कारण रहा।

फैक्ट फाइल

750 कचरा डंपिंग स्थल किए गए थे बंद

450 टन कचरा प्रतिदिन निकलता है शहर से

300 टन ही पहुंच पाता है कठौंदा प्लांट

200 के करीब टिपर वाहन एकत्र करते हैं कचरा

20 बड़े ट्रकों से ले जाया जाता है डंपिंग प्लेसों से कचरा