शहर लौटे युवाओं को जॉब की टेंशन यहां नहीं बेहतर विकल्प

जबलपुर । कोरोना महामारी के कारण विश्वव्यापी संकट में देश पर भी गहरा असर पड़ा है। लगातार जारी लॉक डाउन का तीसरा चरण भी खत्म होने को है, हालात सामान्य होते नहीं दिख रहे हैं। देशभर में जबलपुर शहर के प्रतिभवान युवा घर वापसी कर चुके हैं, या कर रहे हैं। ऐसे में पीपुल्स समाचार ने उनसे बात की, जिसमें उन्होंने अपने चिंता जाहिर भी की, किसी को जॉब जाने का डर है, तो कोई इस अनिश्चिता के बीच अच्छी खबर के इंतजार में है। इसके साथ ही हमने मेडिकल में वरिष्ठ मनोचिकित्सक से भी बात की, जिन्होंने संकट और विपरीत हो रही परिस्थितियों में युवाओं को सहजता से मुकाबला करने का संदेश दिया। शहर लौटे अनेक युवक-युवतियां ऐसे हैं, जिन्हें विकल्प के तौर पर यदि शहर में नौकरी तलाश करना भी हो तो मुश्किल है। आईटी, मेडिकल, कॉल सेंटर, कैमिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नौकरी करते हुए महानगरों से आए ऐसे युवक-युवतियों के लिए शहर में या तो नौकरी नहीं हैं, या वो वेतन नहीं है, जो उन्हें वहां मिल रहा था।
खुद को डायवर्ट करें, ये जरूरी है
संकट का समय तो है, जॉब नहीं रहना और उसके जाने का डर, दोनों में स्ट्रेस लाजिमी है। लेकिन ऐसे समय में थोड़ा खुद को डायवर्ट करना बहुत जरूरी है, आखिर हम सभी ने लॉक डाउन में खुद को सहज रखना शुरू कर ही दिया ना, ऐसे ही जो लोग घर से काम कर रहे हैं, या नहीं भी कर रहे, उन्हें थोड़ा खुद की प्रतिभा के अनुरूप दूसरे अवसर तलाश लेना चाहिए, जिससे उनका मन लगा रहेगा। पहली स्टेज में खुद के लेबल पर काम करें, जैसे व्यायाम, हॉबी पूरी करना आदि, दूसरे लेबल पर अवसर की तलाश कर उसमें लग जाएं, इससे उनमें नाकारत्मकता नहीं आएगी। डॉ. ओपी रामचंदानी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, मेडिकल
सब जल्दी ठीक होना जरूरी ये सब जो चल रहा है, जल्दी ठीक होना जरूरी है। दिल्ली में नौकरी करती हूं, चिंता बनी रहती है कि कहीं नौकरी पर कोई बात न आ जाए। घर से काम करने में भी चिंता तो है। मंगला चक्रवर्ती, दिल्ली में नौकरी
नौकरी पर संकट का डर पूना में निजी कंपनी में काम करता हूं, अभी घर पर हूं, कुछ घंटे जो असाइंटमेंट मिलते हैं, उन्हें पूरा कर देता हूं। सच पूछिये तो नौकरी पर संकट का डर बना रहता है। उमेश शर्मा, पुणे में नौकरी
चिंता लगी रहती है घाट कोपर में स्थित एक निजी बैंक में कार्यरत हूं, अभी सारा काम घर से कर रहा हूं, लेकिन चिंता लगी रहती है, आखिर कब तक ऐसा चलेगा। हर समय पॉजिटिव सोचता हूं, जल्दी सब ठीक हो, यही कामना है। कार्तिक मिश्रा, मुंबई में नौकरी
थोड़ी असहजता तो है वासी में एक कंपनी में कार्यरत हूं, अभी घर आ गया हूं। वैसे तो वर्क फ्रॉम होम के तहत आफिस का काम कर रहा हूं, लेकिन थोड़ी असहजता है, ईश्वर करे जल्दी हमारे देश के हालात सामान्य हों। सौरभ सिंह सेंगर, मुंबई में नौकरी