प्राइवेट अस्पताल कोरोना इलाज का ले रहे ज्यादा पैसा, मद्रास हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

प्राइवेट अस्पताल कोरोना इलाज का ले रहे ज्यादा पैसा, मद्रास हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

चेन्नई।  मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र व तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज पर कितना खर्च आता है, क्या इस खर्च की कोई अधिकतम सीमा निर्धारित है। हाईकोर्ट ने उन रिपोर्ट्स का संज्ञान लेते हुए यह सवाल किया है, जिनमें कहा गया है कि कोरोना संकट में प्राइवेट अस्पताल मरीजों से ज्यादा शुल्क ले रहे हैं। इस संबंध में वकील जीमराज मिल्टन की जनहित याचिका पर जस्टिस विनीत कोठारी एवं आर. सुरेश कुमार की पीठ ने मंगलवार को सुनवाई की। उठाए गए मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए तथा मामला त्वरित सुनवाई योग्य एवं आपात प्रकृति का होने के कारण कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र एवं राज्य सरकार को इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 16 जून को होगी।

 सरकार को उठाना चाहिए इलाज का खर्च : वकील 

मद्रास हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले वकील जीमराज मिल्टन ने तमिलनाडु सरकार की उस घोषणा पर प्रश्न उठाया है, जिसमें यह कहा गया है कि इच्छुक व्यक्ति कोविड- 19 का इलाज अपने खुद के खर्चे पर प्राइवेट अस्पतालों में करा सकते हैं। याचिकाकर्ता ने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत तथा संविधान में नागरिकों के स्वास्थ्य की देखभाल राज्य का विषय होने के कारण कोविड-19 के इलाज का खर्च सरकार को उठाना चाहिए।

 हाईकोर्ट ने चार बिंदुओं पर मांगा उत्तर 

1 कोविड-19 के इलाज एवं प्रबंधन की प्रायवेट एवं सरकारी अस्पतालों में क्या व्यवस्था है?

2 प्राइवेट अस्पतालों में इसके इलाज पर कितना खर्च आता है?

3 क्या खर्च की कोई अधिकतम सीमा निर्धारित है?

4 यदि कोई प्राइवेट अस्पताल अधिक शुल्क लेता है तो उसकी शिकायत के समाधान के लिए कोई व्यवस्था है? यदि है तो अब तक इस संबंध में कितनी शिकायतें प्राप्त हुई  और उनमें से कितनों का समाधान किया गया और उनका समाधान किस तरह से किया गया?

 सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से मांगा है जवाब 

नई दिल्ली। देश के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज पर आने वाले खर्च की अधिकतम सीमा तय होनी चाहिए। इस संबंध में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को एक हफ्ते में जवाब देने को कहा है। याचिकाकर्ता अविशेक गोयनका ने कोर्ट से निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के इलाज के खर्च की अधिकतम सीमा तय करने का अनुरोध किया था। याचिका में मरीजों के लिए निजी आइसोलेशन सेंटर की सुविधा और अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की गई है।

कोरोना मरीजों के शवों के साथ बुरे बर्ताव पर संज्ञान 

कोरोना मरीजों के शव के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्वसंज्ञान लिया। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने सूमोटो नोटिस लेते हुए मामले को शुक्रवार की सुनवाई के लिए रखा। चीफ जस्टिस ने यह केस जस्टिस अशोक भूषण को सौंप दिया।