मोदी हाउस का बिना राशि जमा किए हुआ था नामातंरण , अनुबंध ताक पर

Modi House

मोदी हाउस का बिना राशि जमा किए हुआ था नामातंरण , अनुबंध ताक पर

ग्वालियर। मोदी हाउस की लीज/नामांतरण नरेश अग्रवाल करने के लिए निगम अधिकारियों की जालसाजी का लगातार खुलासा हो रहा है। जिसके चलते निगम अधिकारियों ने नामातंरण शुल्क 24.55 लाख बैंक में जमा हुए बिना ही नाम इंद्राज कर लिया था। 20 दिन बाद सहायक आयुक्त की आपत्ति पर लीज लेने वाले ने राशि जमा की थी। अब घोटाले में दागियों पर बिना कार्रवाई किए निगमायुक्त संदीप माकिन ने प्रमुख सचिव को लीज/नामातंरण निरस्ती का प्रस्ताव पहुंचा दिया है। राजा मानसिंह चौराहे से सिंधिया कन्या विद्यालय तक बने नए ओव्हर ब्रिज ने नीचे रेलवे पटरियों के पास बने मोदी हाउस राजस्व ग्राम महलगांव सर्वे क्रमांक 471 की 46125 वर्ग फुट निगम स्वामित्तव वाली है। जिसे वर्ष 1949 में 99 वर्ष की लीज पर सांवलदास मोदी पुत्र देवचंद्र को आवंटित की गई थी। लेकिन सावलदास की मृत्यु पश्चात उक्त लीज भूमि पर वर्ष 1984 में निगम द्वारा बिना अनुबंध संपादित किए तत्कालीन आयुक्त के आदेश के द्वारा पुत्र चिमन भाई मोदी जयंतीभाई मोदी और मोहन भाई मोदी का नाम नामातंरण किया गया। वहीं मोहन मोदी की मृत्यु के पश्चात उनकी अधिपत्य भूमि पर उनकी पत्नी नीलम मोदी, पुत्र अमर मोदी तथा अशोक मोदी का काबिज होकर हुए। किंतु उनके द्वारा नगर निगम में नाम परिवर्तन हेतु कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया। बाद में मोदी हाउस की जमीन को अपने स्वामित्तव की मानकर लीज पाने वाले सांवलदास मोदी के परिजनों ने वर्ष 1992 में जयंती भाई मोदी की हिस्सेदारी वाली भूमि में से 2133 वर्ग फुट भूमि निर्माण सहित रीना शिवहरे व 1786 वर्ग फुट भूमि निर्माण सहित राज शिवहरे को पंजीकृत विक्रय पत्र द्वारा विक्रय की गई थी और निगम ने इन दोनों भूमियों का पहले नामातंरण किया था, लेकिन विवाद उठने पर दोनों का नामातंरण निरस्त कर दिया गया। क्योंकि भूमि की लीज लेने के दौरान किए गए अनुबंध 2 अगस्त 1952 के बिन्दु चार के अनुसार लीजग्रहिता को लीज भूमि को केवल किराए पर देने के अधिकार थे। लेकिन सावलदास के परिजनों ने बीते 28 सालों में लीज से मिली भूमि को 3 पंजीकृत असाइनमेंट आॅफ लीज ट्रांसफर करने का अपराध किया गया। जिस पर निगम अधिकारी मिलीभगत से मौन धरे रहे। मोदी हाउस लीज/नामांतरण मामले में जमकर जालसाजी की गई है। जिसके चलते दोषियों पर कार्रवाई के लिए मैं खुद शासन को प्रस्ताव भेजूंगा।

फर्जीबाड़ा कर नोटशीट पर दिखाई गई है राशि जमा 
नामातंरण के लिए चली नोटशीट पर निगम के राजस्व अधिकारियों ने 29 सिंतबर 2018 को 2455587 लाख निगम के कोटक मंद्रिका बैंक खाते में जमा बताई है। जबकि निगमायुक्त द्वारा शासन को लीज/नामातंरण निरस्ती प्रस्ताव में नामातंरण शुल्क राशि 18 दिसंबर 2018 को स्टेट बैंक आॅफ इंडिया में जमा बताई है। हालांकि प्रमुख सचिव को भेजे प्रस्ताव में दोषी अधिकारियों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। 

नामातंरण बाद शुल्क लेने लिखा था सहा.आयुक्त ने पत्र 
निगम में नामातंरण करने के लिए चली नस्ती क्रमांक 04/2005/7/6/1498 दिनांक 18 अक्टूबर 2018 को सहायक आयुक्त आनन्द कुमार ने नरेश अग्रवाल व परिजनों को पत्र लिखा था। जिसमें साफ लिखा है कि 29 सिंतबर 2018 को नामातंरण स्वीकार्य हो चुका है। साथ ही पत्र के बिंदु क्रमांक 2 में चिम्मनभाई मोदी के 1274553 व जयंतीभाई मोदी के 1181034 लाख राशि आधिपत्य वाली लीज राशि निगम कोष में जमा कराए। जिससे साफ है कि निगम में नामातंरण शुल्क जमा नहीं था।