मानसून दहलीज पर बारिश में बर्बाद हो सकता है खुले में पड़ा हजारों क्विंटल गेहूं

जबलपुर । जिले में गेंहू की बंपर पैदावार और फिर उसकी सरकारी खरीद फरोख्त अब भ्रष्टाचारियों के लिए काले गोरखधंधे का सफेद जरिया बन गई है। इस साल सरकारी गेंहू की खरीदी 4 लाख मीट्रिक टन के आसपास हुई है। कोरोना संकट के समय बड़ी ही शालीनता के साथ किसानों की उपज की पाई-पाई खरीदी गई। प्रदेश मे 1 करोड़ मिट्रिक टन से ज्यादा की खरीदी होने के साथ इसे रिकॉर्ड भी बताया गया, लेकिन खरीदी के बाद कितना अनाज महफूज हुआ और कितना बर्बाद यह सच्चाई हैरान करने वाली है। भंडारण और परिवहन के नाम पर सरकार को करोड़ों रुपयों का नुकसान हो रहा है। क्योंकि गेंहू ओपन कैप में रखा गया है जबकि जिले में 250 से अधिक वेयरहाउस है जिनमें अधिकतम वेयरहाउस खाली पड़े हुए है। बताया जा रहा है कि वेयरहाउस संचालक बार-बार प्रशासन के पास जाते रहे और ये कहते रहे कि वेयरहाउस खाली है। बावजूद इसके गेंहू को ओपन कैप में रखा जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक जिले मे करीब 1 लाख क्विंटल से ज्यादा का गेंहू खुले मे पड़ा है और मानसून दहलीज पर है। अब इस स्थिति को देख पीपुल्स समाचार की टीम ने सूरतलाई स्थित अग्रवाल वेयरहाउॅस सहित कई अन्य वेयरहाउस का जायजा लिया तो,कई वेयरहाउस अभी खाली पड़े हुए है जिनमें लाखों क्विंटल गेंहू भरा जा सकता है।
खाली हैं वेयर हाउस
जिले के वेयरहाउस एसोसिएशन से जब हमने इस बारे मे बात की तो और भी चैंकाने वाले तथ्य सामने आ गए. कहने को जिले मे 250 से ज्यादा वेयरहाउॅस हैं, जिनकी क्षमता 5 लाख मिट्रिक टन से ज्यादा की है। फिर भी खुले मे गेंहू को क्यो सड़ाने रख दिया गया। जबकि बार बार वेयरहाउस संचालक जिले के अधिकारियों को रिक्त पड़े वेयरहाउस की जानकारी देते रहे। सरकार ने खुद भी माना कि उसके वेयरहाउस खाली है और दूसरे जिले के गेंहू को जबलपुर मे भंडारित करने की जानकारी तक दी गई। पड़ताल का दायरा जब और बढ़ाया गया तो और नए तथ्य जुड़ते गए। एक ओर वेयरहाउस खाली थे और गेंहू ओपन कैप मे भंडारित होता गया। अब सवाल उठता है कि अधिकारी आखिर जगह होने के बाद भी क्यों गेंहू को खुले मे रख रहे थे। खुले में सड़ रहे गेंहू को एफएक्यू के नाम पर अमानक घोषित किया जाएगा या तो इन्हें पीडीएस में भेजा जाएगा या फिर सड़ा हुआ दशार्ते हुए पूरे माल की निलामी कर दी जाएगी। करोड़ो मे की गई गेंहू की इस खरीद को कौंड़ियो के दाम निजी हाथों में सौंपा जाएगा।
इनको फायदा पहुंचाने की कोशिश
सहकारी समितियों द्वारा की गई गेहूं खरीदी के बाद उसका भंडारण उनसे लगे नजदीक के वेयरहॉउस में किया न जाकर दूर के वेयरहाउस मे हो रहा है। ये पूरा खेल मैपिंग के नाम पर किया जाता है जिसमे ट्रांस्पोर्टरो को बेजा फायदा पहुंचाया जा रहा है। ट्रांस्पोर्टस 3 रूपए के जगह अब 17 रुपये क्विंटल तक चार्ज करेगा, जिससे सरकार पर अतिरिक्त बोझ भी बढ़ रहा है।
खाली पड़े वेयरहाउस में दूसरे जिलों का चना, मसूर रखा जाएगा
खाली पड़े वेयरहाउस के संबंध में जब डीएमओ से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि दमोह,सागर और पन्ना जिले में अधिक गेहूं की खरीदी हुई है। जिसके कारण वहां का चना,मसूर को रखा जाएगा। इसके लिए वेयरहाउस खाली रखे गए है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर बारिश हुई तो ओपन कैप में खुले में रखा गया गेहूं बर्बाद हो सकता है।
इस मामले को संभागायुकत ने गंभीरता से लिया है,जांच कराई जाएगी। जिस भी अधिकारी के चलते गेंहू बर्बाद होगा उससे रिकवरी करवाई जाएगी। - महेश चंद्र चौधरी,संभागायुक्त
शासन के निर्देश पर तीन ओपन कैप में गेहूं रखवाया गया है,अधिकतम ओपन कैपों में ही खरीदी केन्द्र बनाए गए थे, जिसके कारण किसानों की उपज की वहीं खरीदी की गई है। खरीदी के पहले अधिकतम गोदामों का निर्माण कार्य नहीं हो पाया था। अगर ओपन कैप में गेहूं बर्बाद होगा तो किराए से नुकसान की कटौती की जाएगी। - विवेक तिवारी,डीएमओ