महानगरों की तुलना में छोटे शहरों में घरों की मांग अधिक: जेएलएल

महानगरों की तुलना में छोटे शहरों में घरों की मांग अधिक: जेएलएल

नई दिल्ली। आवास ऋण में महानगरों की तुलना में छोटे-मझोले शहरों में तेज वृद्धि से पता चलता है कि दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों के मुकाबले दूसरे शहरों में घरों की मांग में वृद्धि अधिक है। जमीन, मकान के बारे में परामर्श देने वाली कंपनी जेएलएल ने सोमवार को एक विश्लेषण रिपोर्ट में यह जानकारी दी। रिपोर्ट के अनुसार देश के छोटे एवं मझोले 50 शहरों में वित्त वर्ष 2012-13 से 2017-18 के दौरान बकाया मकान कर्ज में 15 प्रतिशत से 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी दौरान दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में इसमें 8 प्रतिशत से 12 प्रश वृद्धि हुई है। कंपनी की आरबीआई के आवास ऋण आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित रिपोर्ट में कहा है कि इस दौरान आवास ऋण बाजार 4,600 अरब रुपए से बढ़कर 9,700 अरब रुपए पहुंच गया। कुल मिलाकर इसमें 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जेएलएल इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी तथा क्षेत्रीय प्रमुख रमेश नायर ने कहा आवास ऋण के आंकड़े इस धारणा को गलत साबित करते हैं कि देश में रिहायशी मकानों की मांग को गति शीर्ष शहरों मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकता से मिल रही है। आंकड़ों से संकेत मिलता है कि विकास का जोर धीरे-धीरे छोटे एवं मझोले शहरों (टियर-2 और टियर-3) तक पहुंचने के साथ इन जिलों में मकान खरीदारों की रुचि बढ़ रही है। 2012-13 से 2017-18 के दौरान बकाया आवास ऋण में महानगरों की हिस्सेदारी 22 से 16 प्रतिशत पर आ गयी। वहीं अन्य भागों की हिस्सेदारी इस दौरान 78 प्रतिशत से बढ़कर 84 प्रतिशत पहुंच गई। संपर्क सुविधा में सुधार, बुनियादी ढांचा बेहतर होने, अच्छे स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों से आवास क्षेत्र को लाभ मिल रहा है और घरों की मांग बढ़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरू में जरूर छोटे एवं मझोले शहरों में आवास ऋ ण में वृद्धि का कारण उच्च ब्याज पर गैर-बैंकिंग कंपनियों से लिए गए कर्ज को वाणिज्यिक बैंकों में स्थानांतरण करना था जो अपेक्षाकृत कम ब्याज पर ऋ ण रहे थे। कम अवधि में पूरी होने वाली छोटी परियोजनाओं, कंपनियों तथा खरीदारों के बीच तालमेल तथा समय पर परियोजना पूरी होने से मकानों की बिक्री बढ़़ी है। 

इन्वेस्टर्स क्लिनिक की आय 225 करोड़ रुपए जमीन -

जायदाद से जुड़़ी ब्रोकरेज फर्म इन्वेस्टर्स क्लिनिक की आय 2018-19 में दोगुनी होकर 225 करोड़ रुपए पर पहुंच गयी। इस दौरान इस फर्म के माध्यम से करीब 6,000 करोड़ रुपए की आवासीय एवं वाणिज्यिक परिसम्पत्तियों की बिक्री की गयी जिससे उसकी आय में यह वृद्धि दर्ज की गई है। कंपनी ने सोमवार को यह जानकारी दी। कंपनी के इस समय भारत, दुबई और ंिसंगापुर में कुल 22 कार्यालय है। नोएडा की कंपनी इन्वेस्टर्स क्लिनिक ने 2018-19 में 6,000 करोड़ रुपए की 11,621 इकाइयों की बिक्री कराई जबकि 2017-18 में उसके माध्यम से 2,180 करोड़ रुपए की 4,500 इकाइयां बेची गयी थीं। कंपनी ने बयान में कहा , ै पिछले वित्त वर्ष में राजस्व 119 प्रतिशत बढ़कर 225 करोड़ रुपए पर रहा।